मप्र में व्यवस्था के बदलाव के साथ सोच में भी परिवर्तन लाना जरूरी

भोपाल, मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश में व्यवस्था के साथ-साथ सोच में भी परिवर्तन लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हम वर्तमान परिस्थितियों के मुताबिक बदलाव नहीं लायेंगे तब तक समग्र विकास के सपने को साकार नहीं कर पाएंगे। नाथ आज इंदौर के होटल मेरियट में सीआईआई की नेशनल काउंसिल की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश जैव विविधता, खनिज संसाधन, वन सम्पदा के साथ ही क्षेत्रफल की दृष्टि से विशाल प्रदेश है और देश के दिल के रूप में स्थापित है। मध्यप्रदेश की इन विशेषताओं का अगर हम प्रदेश की समृद्धि के लिए उपयोग करते हैं तो हम इसे देश के अव्वल राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश को विकसित बनाने के सपने को पूरा करने के लिए हम शासन-प्रशासन के साथ ही लोगों की सोच में भी बदलाव ला रहे हैं। आज के वक्त की जरूरत के हिसाब से दिशा और दृष्टि बदल रही है। परिणाम आधारित लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में निवेश लाने का लक्ष्य भी हम भरोसे के साथ जमीनी हकीकत के रूप में पूरा करना चाहते हैं। आज आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में जो परिवर्तन हो रहे हैं उसके साथ भी हम जुड़ रहे हैं। हमें इसमें रचनात्मक सोच के साथ निवेशकों, उद्योगपतियों के साथ ही आम जनता के भी सहयोग की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में जिस तरह नित नए परिवर्तन हो रहे हैं, नई-नई चीजें सामने आ रही हैं उससे स्पष्ट है कि तकनीकी विकास से आने वाले दस साल में औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति होने की संभावना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम निवेश के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पिछले आठ-नौ माह के कार्यकाल में हमें उत्साहजनक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं। निवेश के नक्शे पर मध्यप्रदेश उभरकर सामने आए, युवाओं की सोच के अनुरूप समाज और प्रदेश का निर्माण हो, हमारे देश की विविधता में एकता की जो विशेषता है, उसके अनुरूप मध्यप्रदेश बने हम इस दिशा में भी सुनियोजित सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम एक बहुआयामी सोच के साथ सधे हुए कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले पाँच सालों में सभी के सहयोग से हम मध्यप्रदेश को समृद्ध और खुशहाल प्रदेश बना सकेंगे।

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