नई दिल्ली,अक्सर लोग सांस फूलने की बीमारी में बुजुर्गों को आराम करने की सलाह देते हैं। इतना ही नहीं उनके रूटीन काम भी खुद करने लगते हैं। इससे बुजुर्गों की ऐक्टिविटी कम हो जाती है और उनकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। ऐसे में लगातार बेड पर रहने से बीमारी कम होने के बजाए बढ़ती जाती है। इसलिए भले ही मरीज को ऑक्सिजन लेना पड़े, लेकिन बुजुर्गों को ज्यादा से ज्यादा ऐक्टिव रखें। विशेषज्ञों के अनुसार जब किसी को यह बीमारी होती है, तो उन्हें आराम की सलाह दी जाती है। इसके विपरीत विदेशों में लोग ऑक्सिजन लेते हैं, लेकिन गोल्फ खेलने भी जाते हैं, मॉल में घूमते हैं, सारा काम करते हैं, जिससे उनकी मांसपेशियां ऐक्टिव रहतीं हैं। मरीज जब कोई काम नहीं करता और सिर्फ आराम करता है, तो यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि लंग्स की बीमारी में मरीजों को आराम करने की सलाह देना मेडिकली सही नहीं है। नवंबर से फरवरी के बीच 25 से 30 पर्सेंट तक मरीजों का ओपीडी में आना बढ़ जाता है। इसका बड़ा कारण सर्दी, प्रदूषण और इंफेक्शन है। इस मौसम में 3 गुना ज्यादा मरीज इलाज के लिए ऐडमिट होते हैं। ऐडमिट होने वाले 10 मरीजों में से 1 की मौत हो जाती है। इसलिए सीओपीडी नाम की यह बीमारी खतरनाक है। मरीजों को हफ्ते में चार बार 30-30 मिनट की ऐक्टिविटी करनी चाहिए। जो लोग रोजाना लगभग 5 हजार कदम चलते हैं, या तेज चलते हैं, उनमें यह बीमारी 50 पर्सेंट तक कम हो जाती है। इसलिए यदि आपके घर में कोई व्यक्ति सांस की बीमारी से पीड़ित हो, फिर चाहे वह अस्थमा हो या फिर कुछ और तो उन्हें हर वक्त बेड पर रहने की सलाह देने की बजाए, उन्हें ज्यादा से ज्यादा ऐक्टिव रखें। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि मरीज जितना ऐक्टिव रहेगा उनकी सेहत के लिए उतना ही अच्छा होगा।