भोपाल,मध्यप्रदेश में एक बार फिर सरकार और राजभवन के बीच खींचातानी का माहौल व्याप्त हो गया है। रविवार को दिनभर राजधानी में गहमा-गहमी का माहौल देखा गया। कांग्रेस ने जहां, राजभवन को ‘राजधर्म’ की याद दिलाई है। वहीं, भाजपा ने सरकार की मनमानी पर हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। सोमवार को भाजपा नेता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। गौरतलब है कि कमल नाथ सरकार ने नगर निगम, परिषद सहित सभी निकाय चुनावों में अध्यक्ष के चुनाव के प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को बदलना चाहा है। सरकार इन चुनावों को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाहती है। यानी अब पार्षद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे, जबकि पूर्व में जनता सीधे महापौर, अध्यक्ष को चुनती थी। इसी बदलाव को लेकर सरकार ने अध्यादेश को मंजूदी दी और उसे राज्यपाल लालजी टंडन को भेजा था, जिसे उन्होंने रोक दिया । विवाद यहीं से शुरू हो गया है।
यह गलत परंपरा होगी, जरा सोचिए: तन्खा
इस पर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने राज्यपाल से राजधर्म का पालने करने की अपील की है। तन्खा ने ट्वीट कर लिखा है कि सम्माननीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे और हैं…संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं। इसे राज्यधर्म कहते हैं।विपक्ष की बात सुनें मगर महापौर चुनाव बिल नहीं रोकें। यह गलत परम्परा होगी…जऱा सोचिए। !!
भाजपा के दबाव में काम कर रहे राज्यपाल
कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल का कहना है कि राज्यपाल को अध्यादेश को मंजूरी देनी चाहिए, लेकिन बीजेपी के दबाव में राज्यपाल काम कर रहे हैं। उन्हें दबाव में काम नहीं करना चाहिए। सरकार के जो भी फैसले हैं, उन्हें मान लेना चाहिए।
भाजपा आज से सड़क पर उतरेगी
ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल के संगठन मंत्री एवं पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राज्यपाल से मिलकर मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं, बल्कि सीधे जनता के चुनाव से किए जाने की मांग की है। विधायक विश्वास सारंग ने कांग्रेस की टिप्पणी पर कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर इस तरह का आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण ह। कांग्रेस हार के डर से नगरीय निकाय चुनाव में हठधर्मिता कर रही है। कांग्रेस सरकार के विरोध में भाजपा आज से जगह-जगह विरोध प्रदर्शन करेगी।
यह है पूरा घटनाक्रम
जानकारी के अनुसार निकाय चुनाव का कार्यकाल दिसंबर तक है। ऐसे में सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी के बाद दो अध्यादेश राज्यपाल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजे थे। इनमें से एक पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे और दूसरा मेयर के चुनाव से जुड़ा था। राज्यपाल लालजी टंडन ने पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दी है, लेकिन मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव से जुड़े अध्यादेश को फिलहाल रोक दिया है। इस अध्यादेश को लेकर नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह और प्रमुख सचिव संजय दुबे राज्यपाल से मुलाकात भी कर चुके हैं।
निकाय चुनाव में संशोधन संबंधी अध्यादेश पर गर्मायी सियासत, कांग्रेस ने राज्यपाल को याद दिलाया ‘राजधर्म’ भाजपा कल जाएगी HC
