सेना के लिए डोकलाम तक का सफर अब सात घंटे नहीं बल्कि 40 मिनट का हुआ

नई दिल्ली,सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सेना के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम डोकला बेस तक सड़क का निर्माण किया है। भीम बेस से जोडऩे वाली इस सड़क के बनने से सिक्किम के निकट डोकलाम तक पहुंचने में अब 40 मिनट से ज्यादा का वक्त नहीं लगेगा। तारकोल से बनी यह सड़क हर मौसम में काम करेगी और इस पर कितना भी वजन ले जाया जा सकेगा। साल 2017 में डोकलाम में सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) आमने-सामने आ गई और यह विवाद 73 दिन तक चलता रहा था। उस समय डोकला बेस तक पहुंचने के लिए सेना को सात घंटे का वक्त लगा था क्योंकि तब यह रास्ता केवल खच्चरों के लिए ही था। अधिकारियों ने बताया कि बीआरओ की योजना फ्लैग हिल-डोकला मार्ग पर मार्च 2021 तक वाहनों के चलने योग्य सड़क बनाने की है। उन्होंने बताया कि अभी दोकला भारत से त्रि जंक्शन-भीम बेस-डोकला मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है, इसे 2018 में पूरा किया गया था। अब फ्लैग हिल से सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया गया है।
संवेदनशील इलाकों तक पहुंच आसान
इन सड़कों के जरिए सेना के संवेदनशील इलाकों तक पहुंचने में आसानी होगी। 33.80 किलोमीटर लंबे फ्लैग हिल-डोकला सड़क का निर्माण चल रहा है। फ्लैग हिल से करीब 11 किलोमीटर सड़क का निर्माण पहले ही हो चुका है और शेष हिस्से का काम मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा। सड़क छह मीटर चौड़ी होगी जिसमें से 4.5 मीटर चौड़ाई डामर की होगी। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सड़क होने से जवानों को एक जगह से दूसरे स्थान भेजने और सैन्य मदद भेजने में सहूलियत होगी। बीआरओ का कहना है कि दुश्मन देश की किसी भी कार्रवाई से भारत की सैन्य तैयारियों को यह सड़क रफ्तार देगी। बीआरओ ने अब तक भारत-चीन सीमा पर 3,346 किलोमीटर लंबी करीब 61 ऐसी सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है, जो रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें 2,400 किलोमीटर तक की सड़क हर मौसम के अनुकूल हैं।

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