नई दिल्ली,भारत की ओर से खेलने वाले पहले विदेशी खिलाड़ी त्रिनिदाद में जन्में रॉबिन सिंह ने भारत की ओर से खेलने के लिए अपना देश तक छोड़ दिया था और 11 मार्च 1989 को भारत की ओर से एकदिवसीय क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने टीम इंडिया की ओर से 136 एकदिवसीय मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 2336 रन बनाए, वहीं 69 विकेट लिए। रॉबिन को अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से ज्यांदा फील्डिंग के लिए जाना जाता है। अपनी शानदार फील्डिंग के बल पर उन्हों ने भारत को कई अहम मैच में जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
कभी पढ़ाई के इरादे से भारत आने वाले रॉबिन एक समय टीम का अहम हिस्सा बन गए थे। दरअसल रॉबिन के पूर्वज करीब 150 साल पहले वेस्टइंडीज में जाकर बस गए थे। उन्होंने क्रिकेट भी त्रिनिदाद में खेलना शुरू किया। एक बार भारत से हैदराबाद ब्लू नाम की टीम वेस्टइंडीज में टूर्नामेंट खेलने गई। उस समय रॉबिन सिंह हैदराबद ब्लू के खिलाफ मैदान पर उतरे थे और शानदार प्रदर्शन किया था। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए इब्राहिम नाम के एक व्यक्ति में उन्हें भारत आने का न्योता दिया। 1982 में 19 साल की उम्र में वे मद्रास आ गए और यहां की यूनिवर्सिटी से इकोनामिक्स की डिग्री ली। पढ़ाई में साथ ही उन्होंने खेलना भी जारी रखा हालांकि रॉबिन सिंह का टीम इंडिया में प्रवेश करना और अपनी जगह पक्की करना आसान नहीं था। उन्हें नागरिकता ही काफी देर से मिली। 1989 में उन्हें भारत की नागरिकता मिली। तब तब 1989 में वेस्टइंडीज टूर के लिए भी उनका चयन हो गया था। वेस्टइंडीज की जमीं पर उन्होंने भारत की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया हालांकि इस दौरे पर दो मैच खेलने के बाद वह टीम इंडिया से बाहर हो गए और सात साल तक टीम में जगह नहीं बना पाए।
इस बीच उन्होंने घरेलू और विदेश लीग में खुद को साबित किया और लंबे इंतजार के बाद 1996 में टाइटन कप के लिए उनका टीम में चयन हो गया। जिसके बाद वह 2001 तक टीम का अहम हिस्सा रहे। भारत के इस स्टार ऑलराउंडर ने तीन अप्रैल 2001 को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। रॉबिन भारत की ओर से एक मात्र टेस्ट मैच ही खेल पाए। 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्होंने अपना पहला और आखिरी टेस्ट खेला था। रॉबिन सिंह क्रिकेट को अलविदा कहने के तुरंत बाद कोचिंग से जुड़ गए थे। उन्होंने 2004 में भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम से अपने कोचिंग करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह हॉन्ग कॉन्ग नेशनल टीम के कोच बने और 2006 में एशिया कप के लिए टीम को क्वालीफाई करवाया। इसके बाद भारतीय नेशनल टीम ए के कोच बने और गौतम गंभीर और रॉबिन उथप्पा जैसे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी। 2007 में वह भारतीय टीम के फील्डिंग कोच बने और 2008 में आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स के पहले मुख्य कोच बने।