भोपाल,हनीट्रैप मामले में अब लेन-देन और पैसों के हिसाब किताब की परतें खुलने लगीं हैं। गिरोह की महिलाओं से जुड़ी डायरियों के पन्ने हर दिन नए राज खोल रहे हैं और लेनदेन का हर हिसाब सामने आ रहा है। इतना ही नहीं हनी ट्रैप के सदस्यों से मिले मेमोरी कार्ड की जांच और उससे फोटो तथा वीडियो निकालने के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों को ओवरटाइम करना पड़ रहा है। जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि डिजिटल फाइलों की संख्या पांच हजार को पार कर सकती है। हनी ट्रैप के जाल में फंसाने वाली सुंदरियां अकसर राजधानी भोपाल के एक चर्चित क्लब में जाती थीं, जहां उनके लिए कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा कमरे बुक किए जाते थे। इन लड़कियों में कई तो मात्र 18 साल की हैं। मोनिका की डायरी के पन्नों से ऐसे कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिसमें लेनदेन का जिक्र है। किस नेता और अफसर को कितना पर्सेंटेज दिया गया, इसका सांकेतिक तरीके से उल्लेख है। इन पन्नों में नेताओं और अफसरों के नामों को कोडवर्ड में लिखा गया है। डायरी के एक पन्ने पर ऊपर मोनिका लिखा हुआ है, जबकि नीचे दिल का निशान बनाते हुए मेरा प्यार लिखा है। एक अन्य पन्ने पर छत्तीसगढ़ के पंक्षी का जिक्र करते हुए कई नाम हैं, जिनसे लेनदेन किया गया।
उधर,पुलिस की सायबर सेल द्वारा गाजियाबाद में किराये का फ्लैट लेने पर दो वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के बीच चल रही तनातनी के बीच सायबर शाखा के एडीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने मीडिया से कहा की इस मामले में पहले आईजी स्तर के अधिकारी को एसआईटी की कमान सौंपी गई फिर एडीजी स्तर के अफसर आये और पूरी टीम बदली गई इसलिए उनका कहना है कि इस पूरे मामले की जाँच PHQ के बाहर पदस्थ किसी डीजीपी स्तर के अधिकारी से कराई जाए।
जो सच वही सामने आये
इधर,रोज नए खुलासे से मुख्यमंत्री कमलनाथ काफी नाराज है। सरकार के रडार पर कई अफसर है। माना जा रहा है कि इन अफसरों पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। मुख्यमंत्री ने एसआईटी प्रमुख संजीव शमी से अब तक की गई जांच के बारे में चर्चा की और जाना कि इस मामले में कौन-कौन शामिल है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश दिए हैं कि मामले की पुरी निष्पक्षता और गंभीरता से जांच की जाए। साथ ही जांच में गोपनीयता भी बरती जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच के दौरान वहीं तथ्य बाहर आने चाहिए जो बिल्कुल सत्य हो। ताकि कोई यह नहीं कह सके कि उसे पुलिस बदनाम करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनके वीडियो है, उनकी जांच कराई जाए। साथ ही हनी ट्रैप में पकड़ी गई महिलाओं के एनजीओ को लाभ पहुंचाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। बताया जाता है कि महिलाओं व उनके परिजनों को बार-बार लाभ पहुंचाने वाले विभाग के अफसरों को महत्वपूर्ण पदों से हटाने की भी कवायद शुरू कर दी गई है। हालंाकि इसे सामान्य फेरबदल बताया जा रहा है ताकि अधिकारियों को यह नहीं लगे कि सरकार ने जांच पूरी होनेसे पहलेउन्हें हटा दिया। अधिकारियों को इधर-उधर करने की जांच एजेंसी की रिकार्ड एकत्रित करने में आसानी होगी।
जबकि नेताओं-अफसरों की मांग पूरी करने के लिए हनी ट्रैप गिरोह से जुड़ी महिलाएं किसी भी हद तक जाती थीं। उनकी मांग पर महिलाओं ने छात्राओं का इस्तेमाल किया। बताते हैं कि पकड़ी गई छात्रा मोनिका यादव भी उन्हीं छात्राओं में से एक है। गिरोह से जुड़ी महिलाओं ने इस धंधे में छात्राओं का खूब इस्तेमाल किया। वे पहले बातचीत के लिए बुलाती थीं और जब उन्हें लगता था कि इस छात्रा का धंधे में उपयोग करने से मामला लीक नहीं होगा, तो उसे नेताओं और अफसरों के पास भेज देती थीं। ज्यादातर छात्राएं कालेज की होती थीं। बताते हैं कि पुलिस अभी छात्राओं से पूछताछ नहीं करना चाहती। ऐसा इसलिए कि उन्हें गिरोह ने इस्तेमाल किया था। जांच से जुड़े अफसरों की मानें, तो अगर उनमें से कुछ छात्राओं के वीडियो सामने आएंगे और यह पता चलेगा कि उन्होंने किसी को ब्लैकमेल किया और किसी अफसर या नेता पर अड़ी डाली, तब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
ये भी हुए बड़े खुलासे?
नोटबंदी के दौरान भी एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हनीट्रैप गैंग पर मेहरबान थे। उन्होंने भोपाल की आरोपी महिला के पति के एनजीओ को एक करोड़ की फंडिंग की थी। ये रिटायर्ड अफसर बर्खास्त आईएएस दंपती के बैचमेट हैं। शिक्षा विभाग से जुड़े एक पूर्व मंत्री की पत्नी के भी बर्खास्त आईएएस दंपति से रिश्तेदारी थी। आरोपी युवती के पति के एनजीओ में इन्हीं पूर्व मंत्री की पत्नी की पार्टनशिप है।
दिल्ली में था डेरा
आरोपी महिलाएं 2013 से 2016 तक अधिकांश समय दिल्ली में मौजूद थीं। दिल्ली में रहकर उन्होंने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और यूपी सहित दूसरे राज्यों के कई राजनेताओं और अफसरों को अपना शिकार बनाया।