मुंबई, समंदर में भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हुआ है। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को बेड़े में शामिल कर लिया गया है। शनिवार सुबह मुंबई के नेवल डॉक पर हुए कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना के बेड़े में आईएनएस खंडेरी पनडुब्बी को शामिल किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ऐसी ताकतें हैं जो भारत के तटीय क्षेत्र में मुंबई जैसे हमले दोबारा करना चाहती है, हम ऐसा होने नहीं देंगे। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि आज हमारी सरकार के दृढ़ संकल्प और की बढ़ती क्षमता- जैसे आईएनएस खंडेरी को शामिल किए जाने के बाद हम उसे और तगड़ा जवाब देने के काबिल हैं।’ राजनाथ सिंह ने इस मौके पर खुशी जताते हुए कहा, ‘आईएनएस खंडेरी की कमिशनिंग के मौके पर मैं मौजूद हूं, इसकी मुझे खुशी है।’ उल्लेखनीय है कि खंडेरी के निर्माण में पूरे 10 साल का समय लगा। यहां तक पंहुचने के क्रम में ये कई कड़ियों से होकर गुजरा है। जिसमें इंजिनियरों की दिनरात मेहनत और कई फेज की टेस्टिंग शामिल है।
विश्व की सबसे शांत पनडुब्बी
आईएनएस खंडेरी भारत की दूसरी स्कार्पियन-वर्ग की मारक पनडुब्बी है, जिसे पी-17 शिवालिक वर्ग के युद्धपोत के साथ नौसेना में शामिल किया गया। आईएनएस खंडेरी के नौसेना में शामिल होने से भारत की नेवी की क्षमता में कई गुणा इजाफा होने होगा। खंडेरी समंदर में पूरे 45 दिन तक रहकर 12 हजार किमी जाने में सक्षम है। ये समंदर में 350 मीटर की गहराई तक गोता लगाने में सक्षम है। इसमें मौजूद परमानेंटली मैग्नेटाइज्ड प्रोपलसन मोटर के कारण ये पनडुब्बी समुद्र में एकदम साइलेंट रहती है और दुश्मनों को इसका पता भी नहीं चल पाता। रेडार, सोनार, इंजन समेत इसमें छोटे बड़े 1000 से अधिक उपकरण लगे हुए हैं। इसके बावजूद बगैर आवाज किए यह पानी में चलने वाली विश्व की सबसे शांत पनडुब्बियों में से एक है। इस वजह से रेडार आसानी से इसका पता नहीं लगा सकते हैं। इसीलिए इसे ‘साइलंट किलर’ भी कहते हैं।
शिवाजी महाराज के दुर्ग पर नामकरण
खंडेरी का नाम महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के खंडेरी दुर्ग के नाम पर रखा गया है। इस दुर्ग या किले की खासियत यह थी कि यह एक जल दुर्ग था मतलब चारों और पानी से घिरा हुआ इसलिए दुश्मन के लिए अभेद्य था।