जलवायु परिवर्तन से अंडमान और निकोबार जैसे द्वीपसमूह रहने लायक नहीं रह जाएंगे, 64 % ग्लेशियर हो जाएंगे समाप्त

नई दिल्ली, दुनिया में हो रहे जलवायु परिवर्तन के परिणाम कितने घातक होगें उसका अनुमान एक वैश्विक रिपोर्ट से पता चलता है। रिपोर्ट के एक प्रमुख लेखक ने बुधवार को कहा कि समुद्र स्तर बढ़ने तथा चक्रवाती तूफान जैसी आपदाएं बढ़ने के कारण अगले कुछ साल में अंडमान और निकोबार जैसे द्वीपसमूह रहने लायक नहीं रह जाएंगे। समुद्र और बदलती जलवायु पर ‘जलवायु परिवर्तन’ पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि समुद्र के पानी का तापमान बढ़ने से भारत में चक्रवाती तूफान जैसी आपदाएं बढ़ेंगी। आईपीसीसी की रिपोर्ट के प्रमुख लेखक अंजल प्रकाश ने कहा, ‘अंडमान निकोबार, मालदीव जैसे द्वीपसमूहों को खाली करना पड़ सकता है। समुद्र का स्तर बढने की वजह से ये जगहें रहने लायक नहीं रह जाएंगी और लोगों को वहां से विस्थापित होना पड़ सकता है।’
टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में क्षेत्रीय जल अध्ययन के एसोसिएट प्रोफेसर प्रकाश ने कहा, ‘वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस से भी कम बढ़ोतरी के बाद भी समुद्र का स्तर बढ़ेगा, ग्लेशियर पिघलेंगे और कई समुदाय प्रभावित होंगे। भविष्य के लिए अनुकूलन पर ध्यान रखना होगा।’ आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार 20वीं सदी में दुनियाभर में समुद्र का स्तर करीब 15 सेंटीमीटर बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘समुद्र स्तर लगातार बढ़ता रहेगा। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को तेजी से कम कर लिया जाए और वैश्विक तापमान की वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस के नीचे सीमित कर लिया जाए, उसके बाद भी यह स्तर सन 2100 तक करीब 30 से 60 सेंटीमीटर पहुंच जाएगा। अधिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की स्थिति में यह 60 से 110 सेंटीमीटर तक बढ़ जाएगा।’
भारत का तटीय क्षेत्र एशिया में सातवां सबसे लंबा तटीय क्षेत्र है। रिपोर्ट को करीब 30 लेखकों ने तैयार किया है। इसमें कहा गया, ‘समुद्र के जल का तापमान बढ़ने से चक्रवाती तूफान जैसी आपदाएं आएंगी। इन आपदाओं के बढ़ने की आशंका है और भविष्य के दशकों में ये और भीषण हो जाएंगी। इसमें कहा गया कि जलाशयों की लवणता बढ़ेगी जिसका सिंचाई और घरेलू इस्तेमाल पर असर पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार ताजा पानी के स्रोतों में नमक की मात्रा बढ़ने से गंभीर असर पड़ेगा।

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