संयुक्त राष्ट्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान बहुत कम है, लेकिन इससे निपटने में भारत अग्रणी है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व सोलर एलायंस स्थापित करने की पहल भी की है। इस दौरान पीएम मोदी ने कई मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा ‘ भारत ने युद्ध नहीं बुद्ध दिया। पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया है। हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी। आतंकवाद किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की चुनौती है। आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना अनिवार्य है।’ पीएम ने कहा कि आज विश्व का स्वरूप बदल रहा है। हम सभी के पास अपना विकल्प है। नए दौर में संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी।
अपने संबोधन की शुरुआत में मोदी ने कहा ‘यह अवसर इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं। इस वर्ष दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव हुआ और मुझे जनादेश मिला। इस जनादेश की वजह से ही मैं आपके बीच हूं। इस जनादेश से निकला संदेश प्रेरक है। नए भारत में तेजी से बदलाव हो रहा है।’ पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आयुष्मान भारत समेत तमाम योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी व्यवस्था से विश्वास पैदा हुआ है, हमने दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान सफलता पूर्वक संपन्न कराया, सिर्फ 5 साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर अपने देशवासियों को दिया।
मोदी ने कहा ‘हमने दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशी कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाया। सिर्फ 5 साल में 37 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोले गए। इसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया के गरीबों में एक विश्वास पैदा करती हैं। आज हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए अभियान चला रहे हैं। अगले 5 वर्षों में 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने जा रहे हैं। साथ ही सवा लाख किमी से ज्यादा सड़कें बनाने जा रहे हैं।’
पीएम ने कहा ‘ हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और घरों का निर्माण करने जा रहे हैं। 2025 तक भारत को टीबी से मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं। भारत हजारों वर्ष पुरानी महान संस्कृति है, जो वैश्विक सपनों को समेटे हुए है। हमारी संस्कृति जीव में शिव को देखती है।’ पीएम ने कहा ‘ हमारा मंत्र है जन भागीदारी से जन कल्याण और जन कल्याण से जग कल्याण। हमारा प्रयास सारे संसार के लिए है। जब मैं उन देशों के बारे में सोचता हूं कि जो भारत की तरह ही प्रयास कर रहे हैं, तो हमारा विश्वास और दृढ़ हो जाता है। आज से तीन हजार वर्ष पूर्व भारत के महान कवि ने विश्व की प्राचीनतम भाषा तमिल में कहा था कि हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं। सभी लोग हमारे अपने हैं। अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है।’