जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र में बोले मोदी ‘लालच नहीं जरूरतें पूरी करना हमारा सिद्धांत’

संयुक्त राष्ट्र, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय परम्परा और संस्कृति प्रारम्भ से ही प्रकृति संरक्षण की रही है। उन्होंने दुनियाभर के देशों को इस दिशा में गंभीर होने की बात कही। उन्होंने साफ कहा कि अब बात करने का वक्त गुजर चुका है और अब दुनिया को काम करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में जितने प्रयास होने चाहिए उतने नहीं हो रहे हैं।
मोदी ने कहा ‘यह सुखद संयोग है कि न्यूयॉर्क दौरे में मेरी पहली सभा क्लाइमेट चेंज पर हो रही है। दुनिया भर में इस चुनौती से निपटने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हमें यह बात स्वीकारनी होगी कि इसके लिए उतने प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जितने जरूरी हैं। आज जरूरत है कि एक समावेश प्रयास की, जिसमें शैक्षणिक, वैल्यूज, लाइफस्टाइल और डिवेलपमेंट की अवधारणा को बदलने पर काम किया जाए।’
उन्होंने कहा ‘प्रकृति का सम्मान और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारी परंपरा और वर्तमान नीति का हिस्सा रहा है। लालच नहीं जरूरतें पूरी करना हमारा सिद्धांत रहा है। इसलिए भारत आज इस विषय पर सिर्फ बात करने नहीं बल्कि व्यवहारिक सोच और रोडमैप के साथ आया है। हम भारत में फ्यूल में नॉन फॉसिल फ्यूल की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा को हम 170 गीगाबाइट तक ले जा रहे हैं। इसके अलावा पेट्रोल डीजल में बायोफ्यूल की मिक्सिंग और परिवहन में इलेक्ट्रिक वीइकल्स को बढ़ाने पर ध्यान दिया है।’
प्रधानमंत्री ने बताया ‘वॉटर कन्जर्वेशन और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए मिशन जलशक्ति लॉन्च किया है। अंतरराष्ट्रीय मंच की बात करें तो हमारी इंटरनैशनल सोलर अलायंस की पहल के साथ 80 देश जुड़ चुके हैं। कोएलिशन फॉर डिजास्टर रीसाइलेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर की शुरुआत कर रहे हैं ताकि प्राकृतिक आपदाओं से निपटा जा सके। स्वतंत्रता दिवस पर हमने सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को न करने का आह्वान किया है।’ उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की इस इमारत में हम भारत की ओर से लगाए गए सोलर पैनल का उद्घाटन करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *