भोपाल, नवरात्रि पर्व की शुरुआत 29 सितंबर रविवार से होने जा रही है। गज (हाथी) पर सवार होकर शक्ति का आगमन वाहन समृद्धि और बारिश का संकेत देने वाला होगा। मां शक्ति की स्थापना के अवसर पर इस बार कई दुर्लभ संयोग भी बनेंगे। इस दिन ब्रह्मयोग के साथ मंगलकारी अमृत व सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक यह संयोग शक्ति की उपासना को विशेष लाभदायक बनाएगा।अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 28 सितंबर को रात 11.55 बजे होगी, जो 29 सितंबर को रात 8.13 बजे तक रहेगी। नवरात्रि के लिए शुभ माने जाने वाला हस्त नक्षत्र सूर्योदय से शाम 7.16 बजे तक रहेगा, जबकि ब्रह्म योग शाम 4.09 बजे तक रहेगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक, इसके अलावा अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग सूर्योदय से शाम 7.06 बजे तक रहेगा। ये सारे संयोग एक दिन बनना माता की स्थापना को मंगलकारी बनाते हैं। ज्योतिर्विद के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत जब रविवार और सोमवार को होती है तो माता का वाहन गज (हाथी) होता है। इसी तरह शनिवार और मंगलवार को आगमन का वाहन घोड़ा, शुक्रवार को डोला, बुधवार को नाव होती है। इस बार आगमन हाथी समृद्धि के साथ अच्छी वर्षा का प्रतीक है। घोड़े पर आने पर युद्ध, नाव पर आने पर कार्यों में सिद्धि और डोला आगमन होने पर प्राकृतिक आपदा के संकेत मिलते हैं।
ज्योतिर्विदों के मुताबिक, माता शैलपुत्री का यह रुप देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं। देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। देवी चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। कुष्मांडा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं। अत: इनकी पूजा से सूर्य के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं। देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं। देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं। देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।