भोपाल, मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि जिन संतों की कुटिया आश्रम, मंदिर एवं गौ-शाला हैं, उन्हें स्थाई पट्टा देने पर सरकार विचार करेगी। मुख्यमंत्री आज यहाँ मिंटो हॉल में अध्यात्म विभाग द्वारा आयोजित संत समागम सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में बड़ी संख्या में प्रदेश भर से आए साधु-संत शामिल हुए। प्रारंभ में सम्मेलन में सभी संतों की ओर से आशीर्वाद स्वरूप कम्प्यूटर बाबा ने मुख्यमंत्री कमल नाथ को पुष्पमाला भेंट की।
युवा पीढ़ी को अध्यात्म शक्ति से जोड़ें
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि पूरे विश्व में भारत अपनी अध्यात्मिक शक्ति के कारण पहचाना जाता है। यही वह शक्ति है, जो हमारे देश की पहचान अनेकता में एकता को कायम रखे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी, जो नई तकनीक से जुड़ी हुई है और विशेषकर शहरी क्षेत्रों में रह रही है, उसे अध्यात्मिक शक्ति, संस्कृति और सभ्यता से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने संतों से आग्रह किया कि वे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ और हमारी हजारों साल पुरानी अध्यात्मिक शक्ति से उनका परिचय कराएँ।
35 साल पहले बताई थी लोकसभा में अध्यात्म मंत्रालय की जरूरत
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि 35 साल पूर्व उन्होंने एक चर्चा के दौरान अध्यात्म मंत्रालय का गठन करने को कहा था। उन्होंने कहा कि इसके पीछे उनकी मंशा थी कि पूरे देश में लोग भारतीय अध्यात्म के महत्व और देश की एकता के संदर्भ में उसकी जरूरत को जान सकें। श्री नाथ ने कहा कि जैसे ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद सम्हाला, सबसे पहले उन्होंने आनंद एवं धर्मस्व विभाग को मिलाकर अध्यात्म विभाग गठन करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके जरिए हम प्रदेश में लोगों को अपनी इस सदियों पुरानी अध्यात्म साधना से जोड़ने का प्रयास करेंगे।
धर्म के नाम पर हुए घोटालों की जाँच होगी
मुख्यमंत्री श्री नाथ ने कहा कि धर्म के नाम पर पूर्व में जो घोटाले किए गए हैं, सरकार उनकी जाँच कराएगी। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति अगर आस्था है, तो कोई घोटाले कैसे कर सकता है। हमें यह समझना होगा कि हमारी नीयत और भावना से चरित्र का निर्माण होता है। जो व्यक्ति धर्म की आड़ में घोटाले करे, वह कभी भी आस्थावान नहीं हो सकता, न ही वह अपने धर्म का सम्मान करता है।
दिमाग नहीं, दिल से धर्म का सम्मान करते हैं
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि धर्म हमारे लिए राजनीति का विषय नहीं है। यह हमारे लिए आस्था और सम्मान का विषय है। हम चाहते हैं कि लोग धार्मिक आस्थाओं से जुड़ें, लेकिन उसके जरिए की जाने वाली राजनीति को नकारें। उन्होंने संत समागम सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि समय-समय पर ऐसे सम्मेलन होते रहने चाहिए। उन्होंने साधु संतों की माँगों पर कहा कि सरकार उस पर विचार करेगी और प्रयास किया जाएगा कि अगले सम्मेलन तक उनकी कोई भी माँग अधूरी न रहे।