इंदौर, इंदौर, उज्जैन व देवास विकास प्राधिकरण को मिलाकर मेट्रो पॉलिटन बोर्ड का गठन होगा, जिससे तीनों प्राधिकरण यूनिट के रूप में रहेंगे और इंदौर मुख्यालय रहेगा। ऐसे में तीनों विकास प्राधिकरण अपने-अपने हिसाब से नहीं बोर्ड के नियम से काम करेंगे। एक जैसे नियम लागू होंगे और काम में आसानी होगी। छह माह में इसका प्रारूप बनकर तैयार हो जाएगा और उसके बाद काम शुरू हो जाएगा।
प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी इसके सीईओ होंगे। एक बोर्ड बनने से तीनों प्राधिकरण के कार्यो में एकरूपता यानी एक जैसे नियम लागू रहेंगे, जिसके तहत कार्य हो सकेंगे। समग्र रूप से भी प्लान बन सकेंगे। यदि कोई जमीन उज्जैन व देवास या इंदौर की सीमा से लगी हुई है तो वहां पर संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट बनाया जा सकेगा। विकास प्राधिकरण यूनिट के रूप में काम करते रहेंगे। बोर्ड को टीएनसीपी जैसे अधिकार भी दिए जा सकते हैं, जिसमें मास्टर प्लान बनाने और उसे लागू करने के निर्णय लिए सकेंगे। मेट्रो पोलिटन बोर्ड बनने से ऐसे मास्टर प्लान बन सकेंगे जिसमें पूरी जमीन या पूरे क्षेत्र का पूरा प्लान होगा। जिसमें निजी कॉलोनियों के लिए अनुमति भी प्लान को ध्यान में रखकर दी जाएगी। यानी प्रोजेक्ट व्यवस्थित रूप से बनेंगे और आकार ले सकेंगे। तीनों विकास प्राधिकरण अपने-अपने हिसाब से नहीं बोर्ड के नियम से काम करेंगे।