मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग से मानसिक रोगी हो गया गायब

जबलपुर,नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल के मानसिक रोग विभाग से मरीज के गायब होने का मामला सामने आया है। घटना 11 सिंतबर की है। परिजनों ने इसकी शिकायत गढ़ा थाने में भी दर्ज कराई है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। इसको लेकर परिजनों ने भी आपत्ति दर्ज की है। घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि मेडिकल के बड़े अफसरों को इस घटना की जानकारी ही नहीं है। पिछले पांच दिनों से परिजन अपने बेटे की तलाश कर रहे हैं।
गढ़ा थाने से मिली जानकारी के अनुसार मोहड़ गांव तहसील तेंदूखेड़ा जिला दमोह निवासी भगत सिंह पिता इमरत सिंह उम्र 22 वर्ष मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। परिजन 10 सितंबर को भगत सिंह का इलाज कराने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल पहुंचे थे। मरीज की स्थिति देखते हुए डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया । अगले दिन शाम करीब 3.30 बजे मरीज संदिग्ध परिस्थितियों में वहां से गायब हो गया। घटना की जानकारी लगते ही परिजन वहां पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने गढ़ा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
वार्ड से कैसे गायब हुआ
भगत सिंह को मानसिक रोग विभाग में भर्ती किया गया था। जहां मानसिक रोगी ही रखे जाते हैं। मानसिक रोगियों के भागने और वार्ड के बाहर जाने की आशंका बनी रहती है। इसके बाद भी सुरक्षा के कोई प्रबंध वहां मौजूद नहीं थे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज वहां से कहीं चला गया है। उसने अस्पताल के स्टॉफ को कोई जानकारी भी नहीं दी थी। लापरवाही उजागर होने के बाद मरीज की तलाश सीसीटीवी वैâमरे के माध्यम से की गई। हालाकि जिस क्षेत्र में मानसिक रोगी विभाग है वहां कोई कैमरा भी नहीं लगा था। अस्पताल के अन्य वैâमरों से उसकी तलाश की गई, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा।
पुलिस कर रही तलाश
पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर भगत सिंह की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस ने इसके लिए इश्तिहार भी चस्पा करवाए हैं। घटना के संबंध में बताया गया है कि मरीज को जिस वार्ड में भर्ती किया गया था, वहां उसका पिता भी मौजूद था, लेकिन अचानक ही मरीज वहां से गायब हो गया। पिता इमरत सिंह का कहना है कि भगत सिंह के गले में रस्सी का निशान है। उसने पहले आत्महत्या करने का प्रयास भी किया था। परिजन अनहोनी की आशंका को लेकर परेशान हैं।
– मानसिक रोगी विभाग से मरीज के गायब होने की जानकारी मुझे नहीं है, विभाग के चिकित्सकों से पूछकर बता पाउंगा कि क्या हुआ था।
डॉ राजेश तिवारी, अधिक्षक मेडिकल अस्पताल

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