हनुमा विहारी हर मैच को आखिरी समझकर खेलते है, बोले इस सोच से खोने के लिए कुछ नहीं होता

मुम्बई, टीम इंडिया के बल्लेबाज हनुमा विहारी का कहना है कि वह हर मैच को अपना आंखिरी मैच मानकर खेलते हैं। हनुमा ने कहा कहा, ‘मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं, लेकिन मैं स्पष्ट सोच के साथ इस दौरे पर गया था। मैंने मैच दर मैच रणनीति बनाई और हर मैच को अपने आखिरी मैच की तरह खेला। इससे मुझे इस सोच के साथ उतरने में मदद मिली कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है।’
कप्तान विराट कोहली ने हाल ही में हनुमा विहारी को वेस्टइंडीज दौरे की खोज भी बताया।
छह टेस्ट में एक शतक और तीन अर्धशतक समेत 456 रन बना चुके विहारी ने कहा ,‘यह वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है, जो मैंने घरेलू क्रिकेट में की है। भारत के लिए खेलने से पहले मैने 60 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं।’ उन्होंने कहा ,‘मैंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दबाव के हालात का सामना किया है, जिससे मैं बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार हुआ। आंध्र क्रिकेट संघ और चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।’
विहारी ने कहा कि उनके छोटे, लेकिन प्रभावी अंतरराष्ट्रीय करियर का कारण चुनौतियों का डटकर सामना करने की उनकी क्षमता है। इस बल्लेबाज ने कहा ,‘ऑस्ट्रेलिया में पारी की शुरुआत करना मेरी इसी मानसिकता की देन थी। मैं स्वाभाविक रूप से सलामी बल्लेबाज नहीं हूं और वह बहुत बड़ी चुनौती थी।’
हैदराबाद के रहने वाले विहारी की बल्लेबाजी की शैली उनके शहर के स्टायलिश बल्लेबाजों वीवीएस लक्ष्मण और मोहम्मद अजहरुद्दीन से अलग है। उन्होंने कहा ,‘मेरा हमेशा से विश्वास रक्षात्मक खेल पर फोकस करने पर रहा है। रक्षात्मक तकनीक सही होने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप किसी भी गेंदबाज पर दबाव बना सकते हैं। आक्रामक खेलने पर गेंदबाजों को मौके मिल जाते हैं।’

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