नई दिल्ली, आज के दौर में खतरनाक बीमारी ब्रेन स्ट्रोक धीरे-धीरे लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है। दुनिया का हर छठा व्यक्ति कभी न कभी ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुआ है। इतना ही नहीं 60 से ऊपर की उम्र के लोगों में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण ब्रेन स्ट्रोक है। वहीं, यह 15 से 59 साल के आयुवर्ग में मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है। विशेषज्ञों के अनुसार मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है। मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, ऐसे में समय रहते यदि रोगी को उपचार ना मिले तो मृत्यु अथवा स्थायी विकलांगता हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो ब्रेन स्ट्रोक को समय पर सही इलाज देकर ठीक किया जा सकता है, लेकिन इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होने लगते हैं। इससे व्यक्ति के शरीर का कोई एक हिस्सा सुन्न होने लगता है और उसमें कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति होने लगती है। मरीज को बोलने में दिक्कत आ सकती है, झुरझुरी आती है और उसके चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे लार बहने लगती है। आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के करीब 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं और यह असामयिक मृत्यु और विकलांगता की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है। यहां यह भी अपने आप में परेशान करने वाला तथ्य है कि हर 100 में से लगभग 25 ब्रेन स्ट्रोक रोगियों की आयु 40 वर्ष से नीचे है। गौरतलब है कि यह हार्ट अटैक के बाद दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक आने के बाद 70 फीसदी मरीज अपनी सुनने और देखने की क्षमता खो देते हैं। साथ ही 30 फीसदी मरीजों को दूसरे लोगों के सहारे की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर जिन लोगों को दिल की बीमारी होती है, उनमें से 20 फीसदी मरीजों को स्ट्रोक की समस्या होती है।