लातूर, मराठवाड़ा के लातूर में 2016 में भयंकर सूखा पडा था। उस समय रेल मंत्रालय ने ट्रेन ‘जलदूत’ से लातूर शहर के लिए मदद के रूप में पानी भेजा था। उस समय के रेलमंत्री रहे सुरेश प्रभु ने यह बिल माफ कर दिया था। लेकिन अब रेल मंत्रालय ने 9.90 करोड़ का बिल लातूर नगर निगम को भेज दिया है। लेकिन लातूर नगर निगम की वित्तीय हालात भुगतान के स्थिति में नहीं है। सूखे के कारण महाराष्ट्र के लातूर शहर में तीन साल पहले ट्रेन से पानी भेजने की नौबत आई थी। शायद महाराष्ट्र का यह पहला ही शहर होगा जहां ट्रेन से पानी मुहैया करना पडा था। 2016 को सांगली के मिरज शहर से ट्रेन से पानी लाया गया था। इस ट्रेन ने मिरज से लातूर 111 दिन लातूर को पानी पहुंचाया था। उस समय रेलवे पानी फिल्टर करने के लिए लातूर सिटी को प्रति 200 लीटर पानी टैंकर के माध्यम से मुहैया करती थी। 12 अप्रैल, 2016 को यह जलदूत ट्रेन सेवा शुरू की गई थी। 9 अगस्त 2016 को आखिरी ट्रेन लातूर को पानी पहुंचाने आई थी।
इस साल भी लातूर में सूखे के हालात गंभीर है। महज 45 फीसदी बारिश ही इस साल लातूर शहर में हुई है। इसके बाद इस साल भी ट्रेन से पानी पहुंचाने की नौबत लातूर शहर पर आने की संभावना है। लेकिन रेल विभाग के 9.90 करोड़ रुपये के बिल से लातूर नगर निगम के पसीने छूट रहे हैं। लातूर नगर निगम के उपायुक्त संभाजी वाघमारे का कहना है कि सूखे की मार झेल रहे लातूर की जनता को उस वक्त के रेल मंत्री ने मुफ्त में ट्रेन से पानी देने का वादा 2016 में किया था। लेकिन अब 9.90 करोड़ रुपये का बिल आया है। लातूर महानगर निगम की आर्थिक स्थिति इतना बिल भरने की नहीं है।
वहीं लातूर नगर निगम पर बीजेपी की सत्ता है। इसके बाद लातूर के डिप्टी मेयर देविदास काले का कहना है कि 2016 में मुफ्त पानी का वादा रेलमंत्री ने किया था। लेकिन उसके बावाजूद ये बिल आया है। ये बिल मुख्यमंत्री के द्वारा माफ किया जाएगा। विपक्षी पार्षद अशोक गोविंदपूरकर का कहना है कि लातूर को ट्रेन से पानी दिये जाने के बाद भाजपा ने राजनीति की। उसके बाद के चुनाव में बीजेपी जीत के सत्ता में भी आई। लेकीन मुफ्त पानी देने का वादा करके भाजपा मुकर गई है।