भिलाई, दुर्ग जिले के भिलाई-दुर्ग और भिलाी-चरोदा नगर निगम सहित जामुल पालिका में एल्डरमेन पद की नियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है। प्रदेश के अन्य निकायों सहित जिले के भी कुछ पालिका और नगर पंचायत में 10 अगस्त को पहली सूची जारी कर एल्डरमेन बना दिए गए हैं। 15 अगस्त से पहले दूसरी सूची जारी कर शेष निकायों में एल्डरमेन घोषित किए जाने की चर्चा थी। पखवडा़े भर बाद भी घोषणा नहीं होने से स्थानीय दावेदारों में मायूसी दिखने लगी है।
नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में शासन द्वारा किए जाने वाले एल्डरमेन पद की नियुक्ति से पहली घोषणा में भिलाई-दुर्ग और भिलाई चरोदा गिम सहित जामुल पालिका को वंचित रखा गया है। हालांकि पहली सूची में दुर्ग नगर निगम के नौ पदों में से कृष्णा देवांगन के रूप में केवल एक एल्डरमेन की नियुक्ति कर दी गई है। लेकिन पहली सूची घोषित होने के पखवाड़ा बीत जाने के बाजूद दुग निगम शेष 8 पदों के साथ ही भिलाई निगम के 11, चरोदा निगम के 8 तथा जामुल पालिका के 5 पदों पर एल्डरमेन की नियुक्ति अटक जाने से दावेदारों में मायूसी छा गई है।
यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि 10 अगस्त को जब विभिन्न निकायों के लिए एल्डरमेन की नियुक्ति की गई थी, तभी यह चर्चा चली थी कि स्थानीय नेताओं के साथ विचार मंथन के अभाव में कुछ निकाय में नियुक्ति रोक दी गई है। चर्चा यह भी थी कि 15 अगस्त से पहले सभी निकायों में एल्डरमेन बना दिए जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाने से जो दावेदार स्वयं का एल्डरमेन बनना तय मान रहे थे, उनके माथे पर संशय की लकीर साफ दिखने लगी है।
दरअसल एल्डरमेन पद के लिए भिलाई-दुर्ग और भिलाई-चरोदा निगम के साथ ही जामुल पालिका में दावेदारों में एक अनार सौ बीमार की कहावत चरितार्थ हो रही थी।
लगातार 15 वर्षों तक राज्य की सत्ता से बाहर रहने वाले कांग्रेस के नेता से लेकर आम कार्यकर्ता में भी एल्डरमेन बनने जोड़तोड़ में लगे रहे। इसके लिए सत्ता और संगठन के नेताओं को प्रभावित करने में भी दावेदार पीछे नहीं रहे। 10 अगस्त से पहले तक इन निकाय क्षेत्र के अनेक दावेदार आका नेताओं से सकारात्मक संकेत मिलने से स्वयं को भावी एल्डरमेन के तौर पर प्रचारित करने में भी लग गए थे। ऐसे दावेदारों को नियुक्ति में हो रही विलंब से दौड़ से बाहर हो जाने का भय सताने लगा है। मायूस दावेदार यह कहने से चूक नहीं रहे हैं कि एल्डरमेन पद के लिए उनका नाम एकदम तय है लेकिन आखिरी वक्त में नेताओं की राजनीति मे किस्मत दगा न दे जाए।
गौरतलब रहे कि 10 अगस्त को घोषित पहली सूची में दुर्ग-भिलाई के नजदीकी माने जाने वाले कुम्हारी नगर पालिका और पाटन नगर पंचायत के लिए एल्डरमेन बना दिए गए हैं। इन दोनों ही निकायों का चुनाव इसी साल दिसंबर में होना है। दुर्ग निगम का चुनाव भी इसी साल है और यहां एक एल्डरमेन बनाया गया है। इस लिहाज से वर्ष 2020 के अंत में भिलाई नगम व जामुल पालिका तथा 2021 के अंतिम तक भिलाई-चरोदा निगम के वर्तमान निर्वाचित परिषद के कार्यकाल को देखते हुए इन निकायों में एल्डरमेन पदों की नियुक्ति को पहले अंजाम दिया जाना संभावित माना जा रहा था।
चारों निकायों में दिग्गजों का वर्चस्व
भिलाई -दुर्ग, भिलाई-चरोदा निगम तथा जामुल पालिका ऐसे निकाय क्षेत्र है जहां कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का वर्चस्व है। सबसे अहम तो ये सभी निकाय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले में आते हैं। इस लिहाज से यहां के सभी निकायों में एल्डरमेन पद पर होने वाली नियुक्ति में मुख्यमंत्री निवास की भूमिका रहने की संभावना से राजनीति के जानकार इंकार नहीं कर रहे हैं, इसके अलावा इस जिले से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और लोक सस्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार भी है। मंत्री साहू के निर्वाचन क्षेत्र दुर्ग ग्रामीण में भिलाई निगम के 12 वार्ड शामिल है। वे पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं। इस लिहाज से भिलाई ही नहीं बल्कि दुर्ग और चरोदा निगम सहित जामुल पालिका में एल्डरमेन के लिए अपने समर्थकों का नाम उनके द्वारा भी आगे बढ़ाया गया है। मंत्री गुरु रुद्र कुमार के निर्वाचन क्षेत्र अहिवारा में भिलाई-चरोदा निगम व जामुल पालिका तो है लेकिन कभी यह इलाका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन में शामिल था। ऐसे में इन दोनों निकायों के एल्ड्रमेन पद के लिए मुख्यमंत्री के साथ ही मंत्री रुद्र कगुरु की पसं को बराबर तवज्जो मिल ससकती है। भिलाई निगम महापौर दवेन्द्र यादव विधायक भी है। उनकी भी कोशिश अपने समर्थकों को एल्डरमेन बनाने की है, इसमें कोई शंका नहीं है। दुर्ग निगम क्षेत्र अपने-आपमें एक विधायक को संमेटे हुए है, जो कांग्रेस के कद्दावर नेता मोतीलाल वोरा के विधायक पुत्र अरुण वोरा का निर्वाचन क्षेत्र है। यहां पर वोरा परिवार की एल्डरमेन नियुक्ति में दखल निश्चित मानी जा रही है।