छिंदवाड़ा, पोला के दूसरे दिन बड़गा को पांढुर्णा और साबरगांव के बीच करीब 8 घंटे तक लगातार पत्थरबाजी होती रही और इस पत्थरबाजी में 7 सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह कोई जंग जीतने के लिए कबिलाई हमला नहीं था बल्कि पांढुर्णा की लगभग 2 सौ साल पुरानी गोटमार मेले की परम्परा का निर्वहन था जो शनिवार को पांढुर्णा और साबरगांव वासियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किया। गोटमार मेले की यह परम्परा संभवत: पूरे विश्व में कही नहीं है जो पांढुर्णा में दो सदियों से कायम है और आज भी लोग इसे छोड़ने तैयार नहीं है। इस परम्परा के मेले का आलम यह है कि मेले का पूरा इंतजाम भी जिला प्रशासन को करना पड़ता है। कलेक्टर, एसपी सहित पूरा पुलिस फोर्स मेले में रहता है आज के दिन पुलिस की नहीं चलती उनके सामने ही पत्थरबाजी होती है, लोग घायल होते हैं इसकी कोई रिपोर्ट दर्ज होती है न अपराध उल्टे घायलों का प्रशासन को इलाज कराना पड़ता है। गोटमार का यह मेला पांढुर्णा में जाम नदी पर होता है। जाम नदी के एक ओर पांढुर्णा दूसरी ओर साबरगांव है। मेले की शुरुआत मां चंडीमाता के मंदिर में पूजा के बाद जाम नदी के बीच झण्डा गड़ाकर होती है। फिर इस झण्डे को तोड़ने के लिए पांढुर्णा और साबरगांव के युवक नदी में उतरते हैं और दोनो तरफ खड़े लोग झण्डे तक पहुंचने वालो को पत्थर मारकर रोकते हैं इसी प्रयास में दोनो पक्षो के सात सौ लोग शनिवार को लगे गोटमार मेले में घायल हुए हैं। जिनके उपचार के लिए मौके पर ही टेंट लगाकर अस्पताल बनाया गया था और 30 से ज्यादा डॉक्टरो की ड्यूटी लगाई गई थी इतना ही नहीं इमरजेंसी के लिए दर्जनभर से ज्यादा एम्बुलेंस भी तैनात थी।
सात साल बाद पांढुर्णा ने तोड़ा झण्डा
गोटमार मेले में सात साल बाद पांढुर्णा के युवाओं ने झण्डा तोड़ा है, पत्थरबाजी का खेल सुबह करीब 11 बजे शुरु और 5.36 मिनिट पर पांढुर्णा ने जाम नदी में लगा झण्डा तोड़ डाला। झण्डा टूटने के बाद ही पत्थरबाजी का यह खूनी खेल समाप्त होता है। झण्डा टूटने के बाद दोनो पक्ष एक दूसरे के गले मिलते है और फिर सामुहिक रुप से चंडी माता मंदिर में ध्वज चढाया जाता है। इस मेले को लेकर अनेक किवदंतियां है जिसमें प्राचीनकाल में पिंडारी जाति के लुटेरों भगाने के लिए पत्थर चलाने का भी उल्लेख है दूसरी कहानी एक प्रेमी जोड़े की है कहा जाता है कि पांढुर्णा के युवक को साबरगांव की युवती से प्रेम था जब वह उसे भगाकर जाम नदी के रास्ते ले जा रहा था तब साबरगांव के लोगों ने पत्थरबाजी कर उसे रोका वहीं बचाव में पांढुर्णा के लोगों ने साबरगांव वालो पर पत्थरबाजी की और इस पत्थरबाजी में जाम नदी पर ही दोनो की मौत हो गई थी।
पूरा प्रशासन रहा मौजूद
गोटमार मेले के दौरान पांढुर्णा में पूरा जिला प्रशासन मौजूद रहा कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा, एसपी मनोज राय, एडीएम राजेश शाही सहित जिले के सातो अनुभागो के एसडीएम, एसडीओपी, 20 टीआई, 42 निरीक्षक सहित पुलिस और एसएएफ की बटालियन मेले में मौजूद रही। जिला प्रशासन ने पूरे मेले की वीडियो रिकार्डिंग कराई है।