भोपाल, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला का विवादों से पुराना नाता है। एमसीयू के कुलपति के पद पर दो कार्यकाल पूरा करने वाले पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला के कई कारनामे है, जिनसे अब तक पर्दा नहीं उठा है। एमसीयू के कुलपति बनने से पहले भी उनकी संलिप्तता ऐसे ही कामों में थी। अपने करियर में उन्होंने कई कारनामे किए। जिन पर सवाल भी उठे और कुठियाला को सजा भी मिली। कुठियाला मूलत: कांगड़ा जिले के रहने वाले है। उनकी पत्नी मधु कुठियाला गृहणी है। कुठियाला का एक पुत्र और एक पुत्री है। उनका बेटा वर्तमान में अमेरिका में है। कुठियाला ने मानव शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की है। जानाकरी के अनुसार कुठियाला ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कॉम में 20 साल तक सेवाएं दी है। इसमें से 11 साल उन्होंने टेक्निकल और 9 साल लेक्चरार के तौर पर काम किया। यहां से उन्होंने 1993 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के रीडर पद के लिए आवेदन किया। इस पद के लिए 10 साल लेक्चरार रहने का अनुभव मांगा गया था। कुठियाला ने दिल्ली आईआईएमसी के 9 साल के अनुभव को अपने हाथों से ही 10 साल का बना लिया। इस संबंध में कुरुक्षेत्र विवि के ही एक प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा ने शिकायत की थी। जिसकी जांच के बाद मामला कोर्ट भी गया था। कुरुक्षेत्र में नौकरी करने के बाद कुठियाला हरियाणा पहुंचे। इस यूनिवर्सिटी के कुलपति रामफल हुड्डा हुआ करते थे। यहां जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में पदस्थ थे। कुठियाला को यहां पदस्थापना एक कददावर नेता के माध्यम से मिली थी। कुठियाला यहां से 2007-08 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। रिटायरमेंट से बचने के लिए कुठियाला ने तरकीब लगाते हुए जर्नलिजम डिपार्टमेंट ही बंद कर दिया गया। उसे खत्म करके इंस्टिट्यूट ऑफ मास कंम्यूनिकेशन एंड मीडिया टेक्नोलॉजी बनाया। कुलपति रामफल के आशीर्वाद से कुठियाला इस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर पद पर आसीन हो गए। पद पर आसीन होने के लिए कुठियाला ने उम्र सीमा बढ़ाकर 65 वर्ष कराई। इसके बाद कुठियाला को हरियाणा मे अपने कददावर नेता की सरकार जाने का आभास होने पर कुठियाला ने पाला बदला और भाजपा के नेताओं का दामन थाम लिया। इस काम में माखनलाल के छात्र रहे और ईओडब्ल्यू के केस में आरोपी सौरभ मालवीय ने उनकी मदद की। मालवीय ने कुठियाला की राधेश्याम शर्मा से मुलाकात कराई। राधेश्याम शर्मा माखनलाल विवि के पूर्व कुलपति रह चुके है। इसी दौरान कुठियाला भाजपा नेता प्रभात झा से मिले। उस वक्त झा का मध्यप्रदेश भाजपा में दबदबा था। जानकारी के मुताबिक हिसार यूनिवर्सिटी में ब्रज किशोर कुठियाला जब प्रोफेसर हुआ करते थे। तब इनके पास स्पेशल असिस्टेंट प्रोग्राम (एसएपी) की जिम्मेदारी थी। इसकी ग्रांट यूजीसी जारी करता था। यूजीसी की तरफ से 20 लाख रुपए जारी किए गए थे। जिसका इस्तेमाल कुठियाला ने सहीं तरीके से नहीं किया । यह मामला हिसार के कुलपति तक पहुंचा था, जिसके बाद कुठियाला से सफाई मांगी गई थी। आपत्ति ऑडिट करने वाली संस्था कैग ने उठाई थी। जिसके चलते कुठियाला की 5 साल तक ग्रेच्यूटी और पेंशन रोक दी गई थी। माखनलाल में कुठियाला को 2010 में कुलपति बनाया गया था। उन्हें कुलपति बनाने के लिए नियमों को तोड़ दिया गया। कुलपति के पद पर 20 साल तक पत्रकारिता या पत्रकारिता के क्षेत्र का अनुभव जरूरी था। लेकिन कुठियाला अपनी मजबूत पकड़ के चलते मानव शास्त्र की डिग्री लेकर ही वो कुलपति के पद पर आसीन हो गए और दो कार्यकाल पूरे कर लिए। अपने फायदे के लिए कुठियाला कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के नेताओं का दामन थामते रहे। सूत्रो के अनुसार ईओडब्ल्यू की अगली पेशी पर कुठियाला के पुराने कैरियर के साथ ही उनके एमसीयू मे हुए दो कार्यकालो के बारे मे कई सवाल किये जायेगे, अब देखना यह होगा की इनमे से कितने सवालो के जवाब वो दे सकते है, ओर जवाब नही देने पर ईओडब्ल्यू उनके खिलाफ क्या कदम उठा सकता है। सूत्रो के मुताबिक विवि में कुठियाला के कार्यकाल के मेडिकल बिल समेत अन्य बिल, भर्ती और नियुक्तियां, लिकर कैबिनेट खरीदी, शासन के पैसों से शराब का सेवन, किराए के घर में बोरवेल लगवाना, 1297 अध्ययन केंद्रों की आवश्यकता, परिचितों को अध्ययन केंद्र की अनुमतियां देना, अध्ययन केंद्र खोलने के लिए शिथिल किए गए नियम, महंगे दाम में चार किताबों का प्रकाशन, निजी संस्थाओं को विवि के पैसे देने, एक वेबसाइट होते हुए दूसरी वेबसाइट शुरू करना जैसे आरोप कुठियाला पर हैं। ओर 11 सितंबर को अगली पेशी मे उनसे इनसे संबधित सवाल किए जाएंगे। गोरतलब है की शुक्रवार को ईओडब्ल्यू पहुचे कुठियाला से एसपी और चार इंस्पेक्टर्स ने शाम साढ़े पांच बजे तक पूछताछ की थी। बाद में उन्हें एक नोटिस दिया, इसमें 11 सितंबर को जांच एजेंसी के सामने दोबारा पेश होने की सूचना दी गई। वही सुत्रो के अनुसार कुठियाला की गिरफ्तारी पर 13 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है, जिसके चलते उन्हे तब तक गिरफ्तार नही किया जा सकता, लेकिन उनसे सुनवाई लंबी चलने की संभावना के चलते आशंका जताई जा रही है कि उनसे पुछताछ के दोरान यदि ईओडब्ल्यू को संतोषजन जवाब नही मिले तो 13 सिंतबर के बाद उनपर गिरफ्तारी की तलवार फिर से लटक सकती है। हालांकि उनके पुछताछ के लिये पेश होने पर उनकी संपत्ति कुर्क होने की कार्यवाही से उन्हे फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद है।