बुरहानपुर,भारतीय संस्कृति के अनुसार पशुओं को एक अलग स्थान दिया गया है। कृषि कार्य में उपयोग में आने वाले बैलों को वर्ष में 1 दिन की छुटटी देकर उनकी पूजा अर्चना करना परम्पारिक चारे के अतिरिक्त विशेष भोजन के रूप में खीर पुरी के पकवान खिलाना भारतीय संस्कृति का एक अंग है भारत देश में यह पर्व हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मों से परे हट कर मनाया जाने वाला पर्व पोला राष्ट्रीय एकता की पहचान है भादों मास भाद्रपस अमावस के अवसर पर मनाया जाने वाला यह पर्व धार्मिक रीति रिवाज और ऋति मुनियों की परम्परा से हट कर भारत का किसान इस दिन कृषि कार्य में लगे अपने पशुओं को आराम देकर उन्हें अ‘छी पौशाक पहनाकर खीर पूरी के पकवान खिलाकर उनकी पूजा अर्चना करता है यह पर्व जाति और धर्म के बन्धनों से मुक्त होकर मनाया जाने वाला पर्व है जिस के चलते किसानों के द्वारा इस की त्यारी कर शुक्रवार को किसान उत्साह के साथ पोला पर्व मनाया गया। सुबह से बैलों को नहलाकर आकर्षक शृंगार किया गया। एक दिन पूर्व गुरूवार को बैलों के कंधों पर हल्दी मक्खन लगाकर खीर और मीठी रोटी के भोजन के लिए उन्हें निमंत्रण दिया गया। शुक्रवार को इस पर्व पर बैलों ने एक दूसरे के घर पहुंच कर दावत का लुत्फ उठाया। शाहपुर इ‘छापुर शेखपुरा निंबोला परेठा खकनार तुकईथड़ क्षेत्र के गांवों के साथ जिले भर के गांव में नारियल की तुरन बान्ध कर उसे तोडने की पारम्पारिक स्र्पधा में सैकडो युवाओं ने भाग लिया। किसान बैलों के साथ एक.दूसरे के घर पहुंच कर पर्व की बधाई दी, निंबोला में दोपहर 2 बजे के पश्चात पोले का शुभारंभ हुआ वही नगर के गणपति नाका रास्तीपुरा आदि क्षेत्रों में भी किसानों के बेैलों को सजाकर शहर और गांवों में खूब दौडाया गया। शाम तक बैलों की दौड़ हुई तोरण तोड़े गए। निंबोला सहित मगरूल चुलखान झिरी बोरी बसाड़ सहित अन्य गांवों में पोला उत्सव से मनाया गया इस पर्व पर स्थानीय अवकाश होने से किसानों सहित जिले वासीयों में इस का भरपूर आनन्द उठाया।