लखनऊ,उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले छह भत्तों को ख़त्म कर दिया है। इन भत्तों के खत्म होने से सूबे के करीब 15 लाख कर्मचारियों में से 8 लाख कर्मियों को नुकसान होगा। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने इसका शासनादेश जारी कर बताया कि जिन भत्तों को खत्म किया गया है अब उनकी प्रासंगिकता नहीं थी। सरकार ने जिन भत्तों को खत्म किया है उनमे स्नातकोत्तर भत्ता भी शामिल ही जिसमे अधिकतम 4500 रुपए मिलते थे। इसके अलावा द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता भी ख़त्म हो गया है। इसके तहत 100 रुपए से 300 रुपए प्रति माह मिलते थे। अब द्विभाषी टाइपिंग ही अनिवार्य अहर्ता है। कैश हैंडलिंग भत्ता जो कैशियर, एकाउंटेंट, स्टोरकीपर को नगदी भंडारों व मूल्यवान वस्तुओं की रक्षा के एवज में मिलता था उसे भी ख़त्म कर दिया गया है। सिंचाई विभाग में मिलने वाले परियाजना भत्ता भी अब नहीं मिलेगा। इसके तहत कार्यस्थल के पास आवासीय सुविधा न होने की स्थिति में दिया जाता था. स्वैच्छिक परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ता के तहत सीमित परिवार के प्रति जागरूकता के लिए दिया जाता था। इसके तहत न्यनतम 210 रुपए और अधिकतम 1000 रुपए दिए जाते थे। अब कर्मचारियों को इसका भी लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि सरकार ने दिव्यांग कर्मचारियों का वाहन भत्ता 33.33 फ़ीसदी बढ़ा दिया है। इससे कर्मचारियों को 150 से 250 रुपए प्रति माह तक फायदा होगा। वाहन भत्ता ग्रेड के अनुसार न्यूनतम 600 और अधिकतम 1000 रुपए मिलेगा. इसके अलावा सभी अन्य छह भत्ते तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिए गए हैं।