आईएसआई आंतकियो को फंडिग करने का गिरोह पकड़ाया, एमपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ तक फैला है नेटवर्क

भोपाल/सतना, मध्य प्रदेश में एक बार फिर टेरर फंडिंग रैकेट का खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार भोपाल एसटीएफ की टीम ने शातिर आरोपी बलराम सहित सतना में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो यहीं से कई राज्यों में रैकेट ऑपरेट कर आंतकियो तक रकम पहुचा रहे थे। पकड़े गए लोगों के पास से 17 पाकिस्तानी मोबाइल फोन के नंबर मिले हैं। इस गिरोह का सरगना बलराम सिंह है, जिसे साल 2017 में जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों की निशानदेही पर पहले भी गिरफ्तार किया गया था। गोरतलब है की आरोपी बलराम समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चला रहा था, उसी से सारे टेलीफोन कॉल्स किए जा रहे थे। जानकारी के अनुसार भोपाल से सतना पहुंची एसटीएफ की टीम ने सतना में बैठकर देश भर में टेरर फंडिंग कर रहे पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों मे बलराम सिंह, सुनील सिंह, शुभम तिवारी, भार्गवेन्द्र सिंह और उनका एक साथी शामिल है, ये सभी आरोपी सतना के रहने वाले हैं। वही बलराम सिंह सिंह दो साल पहले साल 2017 में भी गिरफ़्तार किया गया था, व‍ो फिलहाल जमानत पर था। एसटीएफ की टीम अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहे इन आरोपियों से आतंकियों को फंडिंग करने के मामले में आगे की पूछताछ कर रही है। इस कार्यवाही मे भोपाल एटीएस के साथ सतना पुलिस भी शामिल है। बताया जा रहा है की गिरोह का मास्टरमांइड बलराम चाइनीज सेटअप बॉक्स की मदद से समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चला रहा था। वो इतना शातिर है कि इंटरनेट कॉल को सेल्युलर कॉल में बदल कर फोन करने वाले की पहचान छुपा लेता था। उसके इस अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से विदेशी कॉल लोकल कॉल में बदल जाते थे, ओर उस पर पाकिस्तानी हैंडलर्स के इशारे पर ऑनलाइन ठगी, एटीएम और लॉटरी ड्रॉ जैसे फ्रॉड करने का भी आरोप है। गोरतलब है की साल 2017 में जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार किए गए दो आतंकियों से बलराम के बारे में जानकारी मिली थी। उसके आधार पर बलराम की गिरफ्तारी हुई थी, बाद में बलराम से मिली जानकारी के आधार पर जबलपुर, भोपाल और ग्वालियर से 13 पाकिस्तानी जासूस पकड़े गए थे। बलराम मध्य प्रदेश के सामरिक महत्व के ठिकानों और सेना से जुड़ी खुफियां जानकारी जुटाने में लगे जासूसों तक धन पहुंचाने के लिए बैंक खातों का इस्तेमाल करता था। खुफिया जानकारियां पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई तक पहुंचायी जाती थी। पूरे प्रदेश में पैसों के लेन-देन का जिम्मा बलराम के पास था, वो बैंक खातों और डेबिट कार्डधारी को ज्यादा पैसे का लालच देकर सारा काम कराता था। अब तक की जांच में टीम द्वारा आरोपियों के पास से 17 पाकिस्तानी मोबाइल नंबर बरामद किए गए हैं, ये लोग इन नंबरों पर लगातार बातचीत के साथ व्‍हाट्सएप पर भी लगातार संपर्क में रहते थे। बताया गया है की ये आरोपी टेरर फंडिंग का यह नेटवर्क मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी चला रहे थे। इन आरोपियों के पास पाकिस्तान के 17 मोबाइल फोन नंबर मिले हैं। ये लोग आतंकियों के फंड मैनेजर से वीडियो-मैसेंजर कॉल और वॉट्सऐप चैटिंग करते थे। फिर बैंक खातों में पैसा जमा कराकर उसे आतंकियों तक पहुंचाते थे। बताया जा रहा है कि आरोपी बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से जुड़े संदिग्ध लोगों को बैंक खातों और हवाला के जरिए कमीशन बेस पर पैसे ट्रांसफर करते थे। फिलहाल इन नंबरों और आरोपियों के फोन कॉल्स डीटेल की जांच की जा रही है। वही गिरोह का सरगना बलराम सिंह इससे पहले 8 फरवरी, 2017 को भी गिरफ़्तार किया गया था, उसे भोपाल की सेंट्रल जेल में रखा गया था। बलराम आठ महीने पहले ही ज़मानत पर रिहा हुआ था।

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