चंडीगढ़, हिमालय के दुर्गम ढाका ग्लेशियर में सेना की एक विशेष टीम ने 51 साल बाद लापता हुए विमान एएन-12 (बीएल 534) का मलबा बरामद करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। सन 1968 में एयरफोर्स का यह विमान लेह से चंडीगढ़ वापस आते हुए अचानक गायब हो गया था। हालांकि विशेष टीम के सर्च ऑपरेशन में उन 96 जवानों के शव बरामद नहीं हो पाए, जो इस विमान में सवार थे। मगर उन जवानों का कुछ सामान जरूर मलबे के नीचे से मिला है। इस ऑपरेशन से विमान के साथ लापता जवानों के परिजनों को भी बड़ी आस बंधी है कि शायद उन्हें अपनों के बर्फ में दफन शव दशकों बाद मिल सके। उधर, इस ऑपरेशन के दौरान सेना की विशेष टीम ने ग्लेशियर में संबंधित इलाके की पूरी मैपिंग भी की है, ताकि भविष्य में इस सर्च ऑपरेशन को आगे बढ़ाया जा सके।
सर्च ऑपरेशन में एयरफोर्स ने भी दिया सहयोग
यह सर्च ऑपरेशन वेस्टर्न कमांड की निगरानी में चलाया जा रहा है। 26 जुलाई को ट्रिपीक बिग्रेड के डोगरा स्काउट्स के जवानों की विशेष टीम रोहतांग पास से बहुत ऊपर ढाका ग्लेशियर में बातल रोड हेड (13,400 फीट) के लिए रवाना हुई थी। टीम ने अपना सर्च अभियान का पहला चरण 3 अगस्त को शुरू किया था, जो 18 अगस्त को संपन्न हुआ। यह सर्च अभियान हवाई दुर्घटना स्थल (17,292 फीट) तक चलाया गया। टीम ने इस ग्लेशियर में 80 डिग्री तक ढाल वाली दुर्गम चोटियों पर जवानों के शव और दुर्घटनाग्रस्त जहाज के मलबे की तलाश की। एयर फोर्स ने 6 अगस्त को सेना का यह सर्च ऑपरेशन ज्वाइन किया और विशेष टीम के सदस्यों को बर्फ के नीचे दबे विमान के मलबे को पहचानने में मदद की। बता दें कि 7 फरवरी 1968 में एयरफोर्स के एन-12 (बीएल-534) को 97 जवानों को चंडीगढ़ से लेह में छोड़कर आने का टास्क मिला था।