भोपाल, प्रदेश सरकार राजधानी से सटे रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाएगी। सरकार टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव फिर से तैयार करेगी, जो वर्ष 2016 में तैयार औबेदुल्लागंज वाइल्ड डिवीजन पर आधारित होगा। विश्व बाघ दिवस पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने बाघों के कुनबे को बचाने और टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखने के लिए रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की जरूरत बताई है। इस प्रस्ताव में रायसेन, सीहोर और भोपाल वनमंडलों का क्षेत्र घटाकर औबेदुल्लागंज वनमंडल का क्षेत्र बढ़ाया जा रहा था। हालांकि वाइल्ड डिवीजन जैसी छूट टाइगर रिजर्व बनने के बाद लागू नहीं होगी। रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने 10 साल बाद राज्य सरकार ने फिर काम शुरू किया है। वनमंत्री का दावा है कि टाइगर रिजर्व में आने वाली तमाम दिक्कतों का समाधान कर इस क्षेत्र को बेहतर तरीके से विकसित किया जाएगा। इसे लेकर वर्ष 2008 में तैयार टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह प्रस्ताव भी एक बार संशोधित किया गया है। जिसमें अभयारण्य की सीमा से सटे करीब 23 गांवों को सीमा में संशोधन कर बाहर करना था। ऐसे ही अभयारण्य के अंदर स्थित नौ गांवों को शिफ्ट करने की बात आ रही थी। जब तक ये गांव शिफ्ट नहीं होंगे, तब तक इन्हें अस्थाई रास्ता भी दिया जाना था।
1.50 लाख वर्ग हेक्टेयर में फैले औबेदुल्लागंज वनमंडल में सुल्तानपुर वन परिक्षेत्र का 40 हजार वर्ग हेक्टेयर क्षेत्र रायसेन सामान्य वनमंडल में शामिल कर शेष क्षेत्र औबेदुल्लागंज वाइल्ड लाइफ वनमंडल में जोड़ा जाना था। ऐसे ही सीहोर सामान्य वनमंडल की 25 हजार वर्ग हेक्टेयर में फैली बुधनी रेंज को भी वनमंडल में शामिल करने का प्रस्ताव था। 2008 में तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन डॉ. पीबी गंगोपाध्याय ने रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सहमत होकर सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी थी। राज्य सरकार को सिर्फ नोटिफिकेशन करना था। इस बीच खनन लॉबी सक्रिय हुई और राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करने से इनकार कर दिया। इसको लेकर एनटीसीए ने दोबारा विचार करने को कहा था और फिर वाइल्ड लाइफ डिवीजन बनाने का प्रस्ताव बना। अब वन मंत्री की घोषणा के मुताबिक एक बार फिर इसे टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। इस बारे में वन मंत्री उमंग सिंघार का कहना है कि रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया जल्द पूरी कर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।