राज्य शिक्षा केन्द्र की पहल एमपी के स्कूली बच्चे अब पढेंगे बाल-पत्रिकाएं व समाचार पत्र

भोपाल,प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में अब रोचक जानकारी वाली बाल पत्रिकाएं, समाचार पत्र एवं ज्ञानवर्धक पुस्तकें मंगाई जाएगी, ताकि बच्चों की पढाई में रुचि जागृत हो सके। राज्य शिक्षा केन्द्र ने एक नई पहल शुरू की है जिसमें पहली से लेकर कक्षा आठवीं तक के विद्यार्थियों को हिंदी-अंग्रेजी अखबार पढ़ाया जाएगा, स्कूलों को अनिवार्य रूप से अखबार खरीदकर पुस्तकालयों में रखने पड़ेंगे। इससे विद्यार्थियों के मन में पढ़ने की रुचि पैदा होगी। इसके अलावा गांव-कस्बों के स्कूलों में रचनाकार और कविताओं के प्रति समझ रखने वाले व्यक्तियों को स्कूल बुलाकर विद्यार्थियों से चर्चा करने का कार्य भी शिक्षकों को दिया गया है। राज्य शिक्षा केन्द्र संचालक आईरीन सिंथिया जेपी ने जिले के सभी कलेक्टर को पत्र जारी करते हुए कहा कि प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल में अध्यनरत विद्यार्थियों के अंदर पढ़ने के प्रति जागरूकता की कमी है। विभिन्न प्रशिक्षण और सर्वें में सामने आया है कि छात्र-छात्राएं पढ़ना नहीं चाहते हैं, इस वजह से सरकारी स्कूलों का परिणाम उत्कृष्ट नहीं रहता है और न ही विद्यार्थी आगे की कक्षा में पहुंचकर ठीक ढंग से पढ़ पाते हैं। इसलिए स्कूलों में पढ़ाई के प्रति रुचि जागृत करने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए। पढ़ाई के प्रति जागरूकता लाने के लिए जितने भी संसाधन है इसका प्रयोग सरकारी स्कूलों में किया जाना चाहिए।
बच्चों को मन पढाई में लगे इसके लिए शाला में विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए बाल-पत्रिकाएं, समाचार पत्र, पुस्तकालय की पुस्तकें मिलेंगी। पाठ्य पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से कालखंड निर्धारित किया जाएगा। विद्यार्थियों की संख्या अनुसार स्कूल में रोचक युक्त विभिन्न प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी। विद्यार्थियों को शाला पर आधारित पुस्तक लेखन कार्य सिखाया जाएगा। शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों की आयु अनुसार कहानी-कविता पढ़कर सुनाएंगे फिर यह कार्य विद्यार्थियों से कराया जाएगा। पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों को छात्र-छात्राएं एक निर्धारित कालखंड में कभी भी पढ़ सकेंगे। विद्यार्थी जो पुस्तक में पढ़ेंगे उसका चित्र शिक्षक द्वारा बनवाया जाएगा। कविता-कहानी और लोकगीत में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को स्कूल बुलाकर बच्चों से चर्चा कराई जाएगी। विद्यार्थियों को सिखाया जाएगा वह अपने जन्मदिन पर घर वालों को पुस्तक दान करें। महापुरुषों की जीवनी पर आधारित पुस्तकें विशेष से पढ़ाई जाएगी। छात्र-छात्राएं कौन सी पुस्तक प्रतिदिन पढ़ रहे हैं यह एक रजिस्टर में दर्ज करना होगा। स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों को स्थानीय पुस्तक दुकानों का भ्रमण कराया जाएगा। इस संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र संचालक आईरीन सिंथिया जेपी का कहना है कि प्राथमिक-माध्यमिक स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों के लिए यह प्रयास किया जा रहा है इससे उनके मन में पढ़ाई के प्रति जागरूकता आएगी। इसके लिए जिले के सभी कलेक्टर को निर्देशित किया गया है।

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