कर्नाटक पिछड़ा मप्र फिर बना टाइगर स्टेट , 526 बाघों के साथ देश में नंबर वन, उत्तराखंड आया तीसरे स्थान पर

भोपाल, कर्नाटक को पछाड़ कर मध्यप्रदेश एक बार फिर से टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। मध्यप्रदेश 526 बाघों के साथ देश भर में नंबर वन हो गया है। कर्नाटक 524 टाइगर के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं उत्तराखंड 442 टाइगर के साथ तीसरे नंबर पर बना हुआ है। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन के चौथे चक्र के परिणाम जारी करते हुए दी। पीएम ने कहा कि भारत में बाघों की स्थिति 2014 के मुकाबले 2018 में बेहतर हुई है। मध्यप्रदेश के सिर में तीसरी बार टाइगर स्टेट का तमगा सजा है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2019 के अवसर पर प्रदेशवासियों को यह खुशखबरी मिली है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में हुई बाघों की गणना रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि देश में 2967 बाघ हैं। इसके पहले वर्ष 2014 में देश में 2226 बाघ थे। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यट ऑफ इंडिया ने पिछले साल देशभर के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, अभ्यारण्य और सामान्य वन मंडलों में 28 पैरामीटर पर बाघों की गणना की थी।
तीन साल पहले ही पूरा हुआ लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 9 साल पहले सेंट पीट्सबर्ग के सम्मेलन में 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन हमने इसे बीते चार साल में ही हासिल कर लिया।
बाघों से यह फायदा
देश में टाइगर और संरक्षित इलाकों की संख्या बढऩे का असर रोजगार पर भी पड़ता है। मैंने पिछले दिनों पढ़ा था कि रणथंबौर में बाघ देखने के लिए हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं। बाघों के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्टर बढ़ा रही है। भारत आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। हमारे देश में रेल कनेक्टिविटी बढ़ रही है, लेकिन वृक्षों का कवरेज भी बना हुआ है।
कब-कब हुई बाघों की गणना
वर्ष 1995, 2006, 2010 और 2014 में टाइगर गणना जारी की गई थी। तीनों ही सेंसस में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ था। अब 2018 के चौथे टाइगर सेंसस में भी भारत में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है।
2010 में छिना था ताज
वर्ष 2006 में मप्र को दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, लेकिन वर्ष 2010 में कर्नाटक सर्वाधिक बाघों के साथ पहले नंबर पर आ गया था। तब प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा कर्नाटक ने छीन लिया था। तब देश के बाघों की जनसंख्या के 20 प्रतिशत बाघ अकेले मध्यप्रदेश में थे। यही नहीं, दुनिया के कुल बाघों में से 10 प्रतिशत बाघ मप्र के जंगलों में निवास करते थे। लेकिन 2010 तक पन्ना नेशनल पार्क में एक भी बाघ नहीं था और यह संख्या तेजी से गिरी थी। हालांकि इस गणना में उत्साहजनक आंकड़े मिले हैं और देश के कुल बाघों के कुनबे में मप्र का हिस्सा 17.7 प्रतिशत पहुंच गया है।

इस बाघ का नाम ‘टी-3 है। पन्ना में जब एक भी बाघ नहीं बचे थे, तब टी 3 को दो बाघिनों के साथ वहां भेजा गया था। अब टी3 के परिवार में 52 सदस्य हैं। यह अपनी निर्धारित आयु पार कर चुका है।

मप्र तीन बार टाइगर स्टेट
पहली बार 1995
दूसरी बार 2006
तीसरी बार 2019
किसने क्या कहा
आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत में करीब 3 हजार टाइगर हैं। हम दुनिया में उनके सबसे बड़े और सुरक्षित निवास स्थानों में से एक हैं।
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
बाघ मध्यप्रदेश की पहचान हैं। यह भी साबित हो गया है कि मध्यप्रदेश के वन, बाघों और अन्य वन-जीवों के लिए सबसे सुरक्षित रहवास है।
– कमल नाथ, मुख्यमंत्री
संपूर्ण मप्र के लिए यह खुशी की बात है कि मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। हम सभी को पर्यावरण और वन्यप्राणियों की रक्षा के लिए हमेशा आगे आना होगा, ताकि यह खुशखबरी हमेशा बरकरार रहे।
-अशोक कुमार जैन, डिप्टी डायरेक्टर, वन विहार, भोपाल

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *