नई दिल्ली, मोदी सरकार 2.0 देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को जल्द से जल्द भारतीय सड़कों पर लाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। पहले बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को रियायत देने के बाद अब जीएसटी में कटौती का बड़ा फैसला किया है। जीएसटी काउंसिल ने 1 अगस्त 2019 से इलेक्ट्रिक वीइकल पर जीएसटी दर को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी और ईवी चार्जर्स पर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जीएसटी काउंसिल ने स्थानीय अधिकारियों द्वारा दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक बसों के किराए पर भी जीएसटी से छूट को मंजूरी दी है। टैक्स कटौती का यह फैसला इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। ई-वाहनों के निर्माता भी जीएसटी में कटौती की मांग कर रहे थे। इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जर का यह मामला फिटमेंट कमिटी के पास भी भेजा गया था, जिसने टैक्स में कमी की सिफारिश की थी। वित्त मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लोन पर भी छूट की घोषणा की थी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 के पहले आम बजट में 5 जुलाई को इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी घोषणाएं कीं। इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने के लिए लोन के ब्याज पर 1.5 लाख की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट की घोषणा की गई थी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों और उसमें इस्तेमाल होने वाली बैटरी के लिए इन्सेटिव की भी घोषणा की। यह इंसेटिव फेम- II योजना (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक वीइकल्स) के तहत मिलेगा। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली एक कमिटी ने चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के रोलआउट और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रियां स्थापति करने के लिए एक खाका तैयार किया है। इसके तहत 2023 से सिर्फ इलेक्ट्रिक थ्री-वीलर्स और 2025 से सिर्फ इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स (150cc से कम क्षमता वाले) बिकने वाले है।