MP के ई-टेंडर घोटाले मे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो निज सहायकों की गिरफ्तारी, एक आईएएस भी लपेटे में आ रहे

भोपाल, मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू की टीम ने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो निज सहायको निर्मल अवस्थी और वीरेंद्र पांडे को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया है। गोरतलब है की लंबे समय से ईओडब्ल्यू की टीम दोनों से पूछताछ कर रही थी। सुत्रो का कहना है की ई टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू के हाथ दोनों से अहम जानकारी लगी है, जिसके आधार पर कुछ नेता और आईएएस अफसरों पर भी गाज गिर सकती है। सनसनीखेज गिरफफ्तारी को लेकर अंदरुनी सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार नरोत्तम मिश्रा के मंत्री रहते हैदराबाद की मैंटना नामक कंपनी से सांठगॉठ कर हेरफेर करते हुए उस कंपनी को टेंडर दिये गये थे। इसे लेकर कमलनाथ के निज सचिव रह चूके निर्मल अवस्थी ओर वीरेंद्र पांडे की भुमिका संदिग्ध मानी जा रही थी। इसी सदेंह को लेकर ईओडब्ल्यू ने करीब एक माह पहले वीरेद्रं पांडे से पुछताछ की थी, लेकिन संदेह होने पर भी उसे रणनीति के तहत छोड दिया था। सुत्रो के अनुसार छोडने के बाद टीम द्वारा वीरेद्र पर निगाह रखी गई इस दोरान सामने आया की वो हैदराबर की मैंटना कंपनी के अधिकारियो के लगातार संपर्क मे था। उसे पकडने के साथ ही टीम ने निर्मल अवस्थी को भी ईओडब्ल्यू ने उसके आवास से उठा लिया। पूरे मामले मे नरोत्तम मिश्रा के विभाग मे पदस्थ रहे एक आईएएस अधिकारी भी ईओडब्ल्यू के राडार पर आ गये है। सूत्रो का कहना है की इस कंपनी के अधिकारियो के इस आईएएस से काफी व्यवहारिक रिश्ते है, ओर उन्ही की मेहरबानी से कंपनी को टेंडर मिला था। इसके साथ ही यह खबर भी छन छनकर बाहर आ रही है की इस कंपनी मे अफसर की बेटी नोकरी भी करती थी, जिसके नोकरी से संबधित दस्तावेज बाद मे गायब किये गये। गोरतलब है की मामले में ईओडब्ल्यू ने पूर्व मे ओस्मो आईटी सोल्यूशन के संचालक वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, श्रीमॉन मल्टी इंफ्रा लिमिटेड के पार्टनर सुमीत गोलवलकर, एमपीएसईडीसी के ओएसडी नंदकिशोर ब्रम्हे, अन्टिरेस सिसटम्स लिमिटेड बैंगलोर के वाइस प्रेसीडेंट मनोहर एमएन और माइल स्टोन बिल्डिर्स डेवलपर्स भोपाल के मनीष खरे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी, जालसाजी, आईटी एक्ट व षडयंत्र की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इनमे से कई आरोपियो को पूर्व मे गिरफतार किया जा चूका है। गोरतलब है की ईओडब्ल्यू को एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलेपिंग कार्पोरेशन (एमपीएसईडीसी) द्वारा संचालित किए जा रहे एमपी ई-प्रोक्युर्मेंट एमपी डीके एमपी डॉट निगम डीएस 3 में टेंडर नंबर 91, 93, 94 में गड़बड़ी होने की शिकायत प्राप्त हुई थी। इसकी प्रारंभिक जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने 18 मई 2018 को प्रकरण पंजीबद्ध किया था। इसकी जांच में पाया गया था, कि मामले में आरोपी निजी कंपनी के संचालक और अधिकारियों ने एमपीएसईडीसी के ओएसडी नंदकिशोर ब्रमहे के साथ मिलकर ई-टेंडरिंग पोर्टल में अवैधरूप से घुसपैठ की थी। ओएसडी ब्रम्हे ने आरोपित कंपनी संचालकों के साथ मिलकर विभिन्न् शासकीय विभागों के ठेकों में पड़ी बिड में छेड़छाड़ कर उनके मूल्य बदल दिए और अपनी चाही गई कंपनियों को ठेके आवंटित करा दिए। इसके लिए करोड़ों रुपए की रकम का लेनदेन भी किया गया। इस षडयंत्र में मध्यप्रदेश जल निगम, लोक निर्माण विभाग, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के अधिकारी और कर्मचारियों की भी मिलीभगत पाई गई है, जिनके खिलाफ भी ईओडब्ल्यू का शिकंजा कसता जा रहा है।

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