महिलाएं अगर शराब की लत छोड दें तो उनकी मानसिक सेहत में तेजी से होता है सुधार

पेइचिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्ग कॉन्ग के प्रोफेसर कहते हैं, ‘अध्ययन के दौरान कई सबूत सामने आए हैं जो हेल्दी डायट के तहत मॉडरेट ड्रिंकिंग का सुझाव देते हैं।’ इस अध्ययन में हॉन्ग कॉन्ग के फैमिली कोहर्ट के 10 हजार 386 लोगों को शामिल किया गया था जो साल 2009 से 2013 के बीच नॉन ड्रिंकिर्स या मॉडरेट ड्रिंकर्स थे। मॉडरेट ड्रिंकिंग का मतलब है पुरुषों के लिए एक हफ्ते में 14 ड्रिंक या इससे कम और महिलाओं के लिए एक हफ्ते में 7 ड्रिंक या इससे कम। इस स्टडी के डेटा और नतीजों की तुलना अमेरिका में नैशनल इंस्टिट्यूट ऑन ऐल्कॉहॉल अब्यूज ऐंड ऐल्कॉहॉलिज्म की ओर से 31 हजार लोगों पर करवाए गए एक सर्वे के नतीजों के डेटा से की गई। फैमिली कोहर्ट वाली स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की औसत उम्र 49 साल थी और इनमें से 56 प्रतिशत प्रतिभागी महिलाएं थीं। इनमें से करीब 64 प्रतिशत पुरुष और 88 प्रतिशत महिलाएं नॉन ड्रिंकर्स थे। माइकल नी कहते हैं, अगर जरूरी और इफेक्टिव स्ट्रैटजी नहीं अपनायी गई तो दुनियाभर में ऐल्कॉहॉल का सेवन इसी तरह से बढ़ता रहेगा। हमारी स्टडी के नतीजे सुझाते हैं कि मॉडरेट ड्रिंकिंग के डरिए मेंटल हेल्थ और क्वॉलिटी ऑफ लाइफ को बेहतर बनाया जा सकता है। अध्ययन की शुरुआत में यह बात सामने आयी कि वैसी महिलाएं और पुरुष जिन्होंने जीवन में कभी भी ऐल्कॉहॉल का सेवन नहीं किया था उनका मानसिक स्वास्थ्य सबसे बेहतर पाया गया। वैसी महिलाएं जिन्होंने ऐल्कॉहॉल पीने की आदत छोड़ दी थी उनके मेंटल हेल्थ में बेहतर बदलाव देखा गया और यह अंतर अमेरिकी स्टडी और हॉन्ग कॉन्ग की स्टडी दोनों में ही देखने को मिला।

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