लखनऊ, उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा लाये गए 13594 करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट पर विपक्ष ने जमकर सवाल उठाये। विपक्ष का कहना था कि सरकार मुख्य बजट ही अभी खर्च नहीं कर पायी है तो फिर ऐसे में अनुपूरक बजट लाने का औचित्य क्या है। यह भी कहा गया कि अनुपूरक बजट में नए मद और योजनायें नहीं लायी जाती हैं फिर भी सरकार ने इनकी घोषणा की है।
मुख्यमंत्री योगी द्वारा अनुपूरक बजट को पास कराने का विपक्ष से अनुरोध करने के बाद बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष समाजवादी पार्टी के रामगोविन्द चैधरी ने कहा कि सरकार जब मूल बजट नहीं खर्च कर पायी है तो फिर अनुपूरक बजट लाने की आवष्यकता क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि 2019-20 के कुल बजट के 22 फीसद की ही स्वीकृतियां अब तक जारी हुई हैं। वहीं मात्र 18 प्रतिषत ही कुल बजट का अब तक खर्च हो सका है। उन्होेंने कहा कि लगभग सभी विभागों ने 50 फीसद से भी कम खर्च किया है। कुछ विभाग तो दो-चार प्रतिषत ही खर्च कर पाये हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार हवाई जहाज हो गयी है। उसकी योजनायें भी हवाई और भाषण भी। यह अनुपूरक बजट सिर्फ जनता को यह जताने के लिए लाया गया कि सरकार बहुत काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के ऊपर यह बात बिल्कुल ठीक बैठती है, ‘राम-राम जपना, पराया काम अपना।’ उन्होंने कहा कि योजनायें पुरानी हैं सिर्फ सरकार उन्हें नया नाम दे रही है। उन्होंने कहा कि यह बजट गरीबों के लिए नहीं बल्कि पैसे वालों के लिए है। यह गांव, गरीब, किसान, नौजवान, महिला सभी का विरोधी है।
वहीं बसपा के लालजी वर्मा तथा कांग्रेस की अराधना मिश्र मोना ने भी अनुपूरक बजट लाये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की प्लानिंग में कमी है। सरकार अनुपूरक ले आयी लेकिन यह नहीं बताया कि यह धनराषि कहां से आयेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार मिथ्या प्रचार के माध्यम से ब्राडिंग करने में नम्बर वन है। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति और पिछड़ो के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार कर रही है।
योगी सरकार के अनुपूरक बजट पर विपक्ष के सवाल, कहा जब मुख्य बजट ही खर्च नहीं कर पायी तो इसका औचित्य
