भोपाल, यह कैसे संभव हो सकता है कि एक ही दिन में 7 करोड़ पौधों का रोपण एक साथ कर दिया जाए और फिर अधिकांश पौधे चोरी हो जाएं। यह तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रदेश का नाम दर्ज कराने की आड़ में किया गया बड़ा आर्थिक भ्रष्टाचार है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री समेत संबंधित विभागों के मंत्री भी बराबर के शरीक हैं, जिन् पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस आशय की बात मध्य प्रदेश विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के तहत कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी, संजीव सिंह और विनय सक्सेना ने कही। इस पर वित्त मंत्री तरुण भनोत ने मामले की जांच करवाए जाने की बात कही तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि प्रत्येक जांच का स्वागत करता हूं और चुनौती देता हूं कि किसी भी प्रकार की जांच करवा लें। मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को ध्यानाकर्षण सूचना के तहत साल 2017 में एक ही दिन में किए गए 7 करोड़ पौधरोपण के जरिए गिनीज बुक में प्रदेश का नाम दर्ज करवाने का मामला कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2 जुलाई 2017 को एक ही दिन में 7 करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य रखा था, जिसके लिए समुचित संसाधन भी उपलब्ध नहीं थे, उसके बावजूद एक दिन में 7 करोड़ पौधे लगाने के तत्कालीन सरकार ने दावे किए थे। इसके नाम पर विभिन्न विभागों से करोड़ों के फर्जी भुगतान किए गए। इस पर मंत्री भनोत ने वक्तव्य देते हुए कहा कि गिनीज बुक में राज्य शासन का प्रयास 12 घंटे में सर्वाधिक पौधे लगाने का रिकार्ड बनाने का था। इसके लिए विभिन्न विभागों द्वारा रुपये 499 करोड़ की राशि व्यय की गई। मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि इस हेतु गिनीज बुक में प्रदेश का नाम भी दर्ज नहीं हुआ है। इसके साथ ही पौधरोपण में अनियमितता की बात को स्वीकारते हुए जांच करवाए जाने की बात भी उन्होंने कही, जिस पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि प्रत्येक जांच का वो स्वागत करते हैं। इसी बीच दोनों पक्षों के सदस्यों ने एक साथ बोलना शुरु कर दिया, जिससे कुछ देर के लिए हंगामें की स्थिति निर्मित हो गई। सदन में शांति होने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनौती देता हूं, किसी भी प्रकार की जांच करवा लें, सभी तरह की जांचों के लिए तैयार हैं। इस पर मंत्री भनोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की भावनाओं का सम्मान करते हुए और उनकी दी गई चुनौती को स्वीकारते हुए मामले की जांच अवश्य ही होगी। इस पर अन्य सदस्य ने जांच की समय सीमा तय करने की बात रखी तो मंत्री ने कहा कि जितने दिनों में 7 करोड़ गड्ढे गिन लिए जाएं। मंत्री ने सदन को करीब एक माह में जांच पूरी करने का आश्वासन दिया। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के पूर्व में दिए गए वक्तव्य से मौजूदा वक्तव्य के मेल नहीं खाने की बात रखी। उन्होंने कहा कि पू्र्व में हुए लघु सत्र के दौरान सरकार ने अनियमितता नहीं होने की बात कही थी, जबकि अब अनियमितता होने की बात कही जा रही है। इस पर वन मंत्री ने कहा कि फरवरी-मार्च में ही जांच के आदेश दिए गए थे, जिसके बाद प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाई गई है। इस प्रकार सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मामले की विस्तृत जांच कर दोषियों को सख्त सजा देने वा रिकवरी करने की मांग रखी।