भगवान की मूर्तियां सिर्फ अपने लिए ही खरीदें किसी को उपहार में देना ठीक नहीं

नई दिल्ली, वास्तु शास्त्र कहता है कि भगवान की मूर्तियां किसी को तोहफे में नहीं देनी चाहिए और अगर इन्हें खरीदा जा रहा है तो सिर्फ अपने उपयोग के लिए ही खरीदें। वास्तु विज्ञान के अनुसार भगवान की मूर्तियां या तस्वीर यदि घर में हों तो उन्हें स्थापित करने से लेकर उनकी देखभाल करने के सभी नियमों का पालन किया जाना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा ना करे तो इसका उसपर और उसके परिवार पर नकारात्मक प्रभाव होता है। यही कारण है कि वास्तु शास्त्र कहता है कि किसी और को मूर्तियां उपहार में नहीं देनी चाहिए क्योंकि ये नहीं पता होता कि वो दूसरा इंसान इनका सही से पालन करेगा भी या नहीं।
अगर किसी को मूर्तियां या भगवान की तस्वीरें दी भी जा रही हैं तो ये ध्यान रखिए की मौका कौन सा है और जिसे ये दी जा रही हैं, वहां शास्त्रों के सभी नियम माने जाते हैं या नहीं।
उपहार में गणेश की मूर्ति
भगवान गणेश की मूर्ति उपहार में देना एक ट्रेंड की तरह है। शादी, गृहप्रवेश, आदि में देने का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है पर क्या वाकई ये हर बार ये लाभकारी होते ही हैं? वास्तु शास्त्र के कई नियम गणेश की मूर्ति घर में स्थापित करने को लेकर भी हैं। जैसे बेटी की शादी में गणेश की मूर्ति नहीं देनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार नई दुल्हन के परिवार से आर्थिक समृद्धि खत्म होती है इससे। लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति हमेशा साथ रखी जाती है और घर की लक्ष्मी के साथ गणेश की मूर्ति भेजने से घर की समृद्धी भी उसके साथ चली जाती है।
गणेश की मूर्ति को स्थापित करने के भी हैं कई नियम
ज्यादातर लोगों को ये नहीं पता होता कि गणेश की मूर्ति कहां स्थापित करनी चाहिए। वास्तु के हिसाब से घर के उत्तर पूर्व कोने में गणेश की मूर्ति का सबसे सही
शास्त्रों के अनुसार गणेश की दृष्टि सबसे ज्यादा शुभ होती है और उनकी पीठ के पीछे नकारात्मक किरणें रहती हैं। कुछ लोग अपने घर के दरवाजे पर गणेश की मूर्ति लगाते हैं जो वास्तु के अनुसार गलत है। इससे गणेश भगवान की अच्छी दृष्टि तो सामने वाले घरों में चली जाती है।
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गणेश की मूर्ति को सबसे बेहतर पूजा स्थान में या ईशान कोण में रखें। इसी के साथ, गणेश की मूर्ति को लेते समय सूंड किस तरफ है वो भी सोचने वाली बात है और इसे देखना जरूरी है। घर में रखने के लिए बाईं (लेफ्ट) तरफ की सूंड वाले गणपति सबसे बेहतर होते हैं क्योंकि शास्त्रों के हिसाब से उनका रख रखाव आसान होता है। यहीं अगर दाईं ओर (राइट) सूंड वाले गणपति को रखा जाए तो उनकी पूजा और अनुष्ठान अलग तरह से किए जाते हैं। ऐसे गणेश मंदिरों के लिए उपयुक्त होते हैं जैसे सिद्धी विनायक मंदिर के गणेश।
साथ ही ऐसी मूर्ति बेहतर होती है जिसके हाथ में मोदक हो और साथ में चूहा हो। घरों में रखने या उपहार के लिए (अगर करनी है तो) बेहतर होते हैं बैठे हुए गणेश। खड़े हुए, सोते हुए, नाचते हुए गणेश की मूर्ति के नियम अलग हैं।
अगर कोई फ्रेम पिक्चर देनी है तो पीपल की पत्ती पर गणेश की मूर्ति दी जा सकती है जिसे घर की किसी दीवार पर लगाया जा सके। अगर पूजा घर के लिए गणेश की मूर्ति दी जा रही है तो ध्यान रहे कि वो 18 इंच से कम साइज की हो। अगर गणपति की मूर्ति खंडित हो गई है या उसे सिर्फ सजावट के लिए रखा है तो उसकी पूजा कभी न करें।
घर में शांति के लिए घर में सफेद गणेश रखना शुभ होता है।
कृष्ण और राधा, की मूर्ति
राधा और कृष्ण की मूर्ति उपहार में देने के भी कई नियम हैं। कृष्ण और राधा को प्यार का प्रतीक माना जाता है।
वैसे तो कृष्ण की बांसुरी बजाती हुई या गाय के साथ मूर्ति शुभ मानी जाती है, लेकिन जहां तक राधा और कृष्ण का सवाल है नवदंपत्ति को ये देने से बचना चाहिए। इसका सीधा सा कारण ये है कि राधा और कृष्ण भले ही एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन वो एक साथ कभी नहीं रह पाए खुशी से। इसी तरह से रुकमणी-मीरा-कृष्ण, गणेश और रिद्धी-सिद्धी को भी घर में स्थापित नहीं करना चाहिए या कम से कम नवदंपति को तो नहीं देना चाहिए। इसकी जगह विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति दी जा सकती है, लेकिन सिर्फ तभी जब उसे सही से रखा जाए और लेने वाला उसके नियमों का पालन करे।

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