भोपाल, मानसून पूरी रफ्तार के साथ मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रहा है। यह तीन-चार दिन बाद मंडला-जबलपुर संभाग की ओर से दस्तक दे सकता है। अगर मानसून की वर्तमान में जो गति है वह कायम रही तो 27 या 28 जून तक इसके भोपाल पहुंचने की संभावना है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला ने बताया कि पिछले पांच साल के ट्रेंड के अनुसार मानसून के मप्र में प्रवेश करने के बाद भोपाल पहुंचने में 1 से लेकर 5 दिन का ही समय लगता है। सिर्फ 2014 में ही एक बार ही इसे भोपाल पहुंचने में 17 दिन लगे थे। वजह यह थी कि मानसून ब्रेक से इसकी प्रोग्रेस रुक गई थी। शुक्ला के अनुसार मानसून ने दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, कर्नाटक के अधिकांश हिस्से, पूरे तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के अधिकांश हिस्सा, छत्तीसगढ़ के दक्षिण भाग को कवर कर लिया है। यह ओडिशा, बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल के अधिकांश इलाका झारखंड बिहार के कुछ क्षेत्रों में भी पहुंच गया है।
हवा के कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी बंगाल की खाड़ी और उससे लगे बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में बन चुका है। हवा के ऊपरी भाग में 7. 6 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्रवाती हवा का घेरा बना है। उत्तर पश्चिम राजस्थान से लेकर इस कम दबाव के क्षेत्र के बीच एक ट्रफ लाइन बनी हुई है। यह पूर्वी राजस्थान, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं गैंगैटिक पश्चिमी बंगाल से होकर गुजर रही है।1.5 किलोमीटर ऊंचाई पर हवा के ऊपरी हिस्से में हरियाणा और उसके आसपास चक्रवात बना हुआ है। इस बारे में फल अनुंसंधान केन्द्र के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर एमएस परिहार का कहना है कि मानसून 10 दिन की देरी से पहुंचेगा तो इसका असर खरीफ की सोयाबीन, धान, मक्का, ज्वार जैसी फसलों की बोवनी पर पड़ेगा। यानी 90-95 दिन की अवधि की फसलों पर तो असर नहीं होगा, लेकिन सोयाबीन की 110-120 दिन की अवधि की फसलों पर ज्यादा असर होगा। इसके कारण रबी की फसलों गेहूं, चना, मसूर, अलसी, मटर की बाेवनी भी देरी से होगी।