पिछले 12 साल में पहली बार मानसून की चाल इतनी सुस्त, सिर्फ 10-15 % हिस्से को ही छू सका

नई दिल्ली, मौसम विभाग के अनुसार 12 साल में यह पहली बार है जब मानसून देश में इतनी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। इसकी एक प्रमुख वजह चक्रवात वायु भी है, जिसके कारण मानसून के बादलों की दिशा पर असर पड़ा। जहां आमतौर पर इस समय तक देश के दो-तिहाई हिस्से तक मानसून पहुंच जाता है, वहीं इस बार यह सिर्फ 10-15 प्रतिशत हिस्से को ही छू सका है। इस देरी के कारण देशभर में सीजन में होने वाली बारिश में 44त्न कमी आ गई है। अभी मानसून केरल, कर्नाटका के दक्षिण हिस्से, तमिलनाडु के दो-तिहाई हिस्से और पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मॉनसून सिस्टम को फिर से मजबूत होने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। भारतीय मौसम विभाग के डी शिवनंद पई ने कहा हमें उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिनों में मानसून कोंकण तट तक पहुंच जाएगा और 25 जून तक महाराष्ट्र का ज्यादातर हिस्सा कवर होगा। जून के अंत तक मध्य भारत का ज्यादार हिस्सा मॉनसून सिस्टम के अंदर आ जाएगा, हालांकि यह शेड्यूल से करीब 15 दिन की देरी से होगा।
12 साल में पहली बार इतनी लेट है मानसून
साल 2007 से लेकर अब तक के मानसून मैप को स्टडी किया गया तो पाया गया कि इतने सालों में यह पहली बार है जब 18-19 जून तक मानसून इतने धीमे आगे बढ़ा है। साल 2013 में इसकी गति सबसे तेज थी जब 16 जून तक पूरे देश में मानसून पहुंच गया था। मानसून के आने में देरी का सबसे बुरा असर मध्य भारत पर पड़ा है। इस भाग में जून में होने वाली बारिश में 57 फीसदी की कमी दर्ज की गई। वहीं दक्षिण में यह आंकड़ा 38 फीसदी, पूर्वोत्तर भारत में 43 फीसदी और उत्तर पश्चिमी भारत में 27 फीसदी रहा। मौसम विभाग के अनुसार, तीन से चार दिन में मॉनसून कर्नाटक, कोंकण के दक्षिणी हिस्से, गोवा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के बचे हुए हिस्से, पूर्वोत्तर भारत, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और ओडिशा के कुछ हिस्सों तक पहुंच जाएगा।

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