मुंबई, महाराष्ट्र के बीड जिले में 4605 महिलाओं का गर्भाशय निकालने का मामला सामने आया है. विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद अब विधान परिषद में इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. शिवसेना नेता नीलम गोर्हे ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाते हुए इसे एक बेहद खतरनाक मामला बताया. नीलम गोर्हे ने कहा कि बेहद अजीब बात है कि निजी डॉक्टर ने इतनी बड़ी संख्या में और हल्की बीमारी में भी महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया. ये सभी गन्ना तोड़ने वाली मजदूर हैं. यह कोई साजिश भी हो सकती है. आशंका है कि कॉन्ट्रेक्टर और डॉक्टर की मिली भगत से ऐसा किया गया हो. इसके पीछे यह भी वजह हो सकती है कि महिलाओं को उनके पीरियड के चलते और गर्भवती महिलाओं को छुट्टी देनी पड़ती है. जिससे छुटकारा पाने के लिए यह कदम उठाया गया हो. स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. यह समिति गर्भाशय निकाले जाने के सभी मामलों की जांच करेगी. इसके लिए सभी पीड़िताओं से भी बात की जा रही है. मुख्य सचिव की अगुआई वाली समिति में 3 गाइनोकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और कुछ महिला विधायक शामिल की गई हैं. यह समिति दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों को आदेश दिया है कि वे अनावश्यक रूप से गर्भाशय न निकालें. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अप्रैल में इस मामले के सामने आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस भी जारी किया था. स्वास्थ्य मंत्री शिंदे के मुताबिक बीड जिले में सबसे ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी की गई हैं. सीजेरियन डिलीवरी की संख्या कम है. हालांकि 2016 से लेकर 2019 तक 99 अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चे हुए.