चमकी बुखार के समय इन बातों का ध्यान रख किया जा सकता है बचाव

नई दिल्ली,दिमागी बुखार (चमकी बुखार) से हाल में अनेक बच्चों की मौत हुई है। यह बुखार होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं और उपचार करायें। अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और वह भी खासतौर पर बच्चों में। इस बीमारी के लक्षणों के नजर आते ही डॉक्टरों को दिखायें। बीमारी के लक्षण यह हैं।
शुरुआत तेज बुखार से होती है
फिर शरीर में ऐंठन महसूस होती है
इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है
मानसिक भटकाव महसूस होता है
बच्चा बेहोश हो जाता है
दौरे पड़ने लगते हैं
घबराहट महसूस होती है
कुछ केस में तो पीड़ित कोमा में भी जा सकता है
अगर समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मौत हो जाती है। आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है।
उपचार
चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें। बच्चों को सिर्फ सेहतमंद खान ही दें। रात को खाना खाने के बाद हल्का फुल्का मीठा जरूर दें। डॉक्टरों के मुताबिक चमकी ग्रस्त बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी हो जाती है। डॉकटर्स का कहना है कि बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो।
इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों को झूठे व सड़े हुए फल न खाने दें
बच्चों को उन जगहों पर न जाने दें जहां सूअर रहते हैं
खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धुलवाएं
पीने का पानी स्वच्छ रखें
बच्चों के नाखून न बढ़ने दें
गंदगीभरे इलाकों से दूर रखें

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