नई दिल्ली,फ्रेंच ओपन टेनिस विजेता ऑस्ट्रेलिया की एश्ले बार्टी इससे पहले पेशेवर क्रिकेट खेला करती थीं और राष्ट्रीय महिला टीम में खेलने के करीब थीं हालांकि उनकी पूर्व क्रिकेट कोच एंडी रिचर्ड्स ने कहा कि बार्टी ने अपने करियर में बड़ा बदलाव करते हुये टेनिस खेलने का फैसला किया। बार्टी का करियर काफी उतार चढ़ाव से भरा रहा है और पांच वर्ष पहले यूएस ओपन के बाद उन्होंने टेनिस भी छोड़ने का फैसला कर लिया। वह सफल जूनियर टेनिस खिलाड़ी रहीं और 2011 में जूनियर महिला विंबलडन खिताब जीता जबकि तीन महिला युगल फाइनल में भी खेला।
उसके बाद दबाव के चलते उन्होंने टेनिस छोड़ने का फैसला किया और 2014 में टेनिस छोड़ दिया और क्रिकेट में उतरीं। वह आस्ट्रेलिया में पेशेवर टीम से जुड़ीं और प्रतिष्ठित बिग बैश लीग में ब्रिसबेन हीट्स की तरफ से खेलने उतरीं जहां नौ मैचों में उनका सर्वाधिक स्कोर 39 रहा।
बार्टी की पूर्व क्रिकेट कोच ने उनका रोलां गैरों में फाइनल मैच देखने के बाद कहा, मैं अभी भी हैरान हूं। बार्टी इस जीत की हकदार हैं, वह बहुत अच्छी इंसान और प्रतिस्पधार्त्मक खिलाड़ी हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि वह क्रिकेट में आना चाहती हैं, तो मैंने उन्हें इसमें मदद की।
बार्टी ने पहली बार क्वींसलैंड क्रिकेट मैदान में सबसे पहले क्रिकेट खेला था। क्रिकेट में भी वह असाधारण खिलाड़ी रही हैं।
बार्टी जारी ताजा विश्व रैंकिंग में नंबर दो खिलाड़ी बन गई हैं। बार्टी ने चेक गणराज्य की माकेर्टा वोंड्रोसोवा को लगातार सेटों में 6-1, 6-3 से हराकर फ्रेंच ओपन के महिला एकल वर्ग का खिताब जीता था। उन्होंने छह स्थान की छलांग लगाई और नंबर दो स्थान पर पहुंच गईं। वह इवोन गूलागोंग काउली के बाद रैंकिंग में नंबर दो बनने वाली पहली आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बन गई हैं। 1973 में मार्गरेट कोर्ट के बाद फ्रेंच ओपन का खिताब जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया की पहली खिलाड़ी (पुरुष या महिला) बनी हैं। जापान की नाओमी ओसाका का पहला स्थान बना हुआ लेकिन उनके और बार्टी के अंकों में फासला बहुत कम हो गया है। ओसाका के 6486 और बार्टी 6350 अंक हैं। दोनों के बीच अब मात्र 136 अंकों का फासला रह गया है।