भोपाल,मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों के छात्र आकर आयुष कॉलेजों में यूजी कोर्स की पढाई कर सकेंगे, वहीं प्रदेश के छात्र अब दूसरे राज्यों में जाकर आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा) के कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे। वर्ष 2019-20 से देशभर के सरकारी आयुष कॉलेजों में 15 फीसदी ऑल इंडिया कोटा शुरू किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेजों की तर्ज पर यह व्यवस्था लागू की जा रही है। आयुष कॉलेजों में अभी तक सभी सीटें स्टेट कोटे से भरी जाती थीं। इसमें मप्र के मूल निवासी उम्मीदवारों को ही दाखिला दिया जा रहा था। अब ऑल इंडिया कोटे से किसी राज्य का उम्मीदवार दाखिला ले सकेगा। देश में आयुर्वेद सबसे ज्यादा समृद्ध केरल में हैं। यहां की पंचकर्म क्रिया देश में सबसे अच्छी मानी जाती है। लिहाजा केरल की 15 फीसदी सीटों पर मप्र के छात्रों को दाखिला लेने पहुंचेंगे। प्रदेश के सरकारी और निजी आयुष कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग इस साल 25 जून से शुरू होने की उम्मीद है। इन सीटों पर दाखिले नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट) यूजी के अंकों के आधार पर होंगे। हालांकि, आयुष के जानकारों का कहना है कि काउंसलिंग और पहले की जानी चाहिए।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने कहा कि मेडिकल और आयुष दोनों में दाखिले नीट यूजी के जरिए होते हैं, लेकिन पिछले साल तक आयुष काउंसलिंग मेडिकल की काउंसलिंग के काफी बाद कराई जाती रही है। इससे छात्रों को नुकसान होता था, क्योंकि एक साथ काउंसलिंग होने पर छात्रा के पास विकल्प ज्यादा रहेंगे कि उन्हें कहां दाखिला लेना है। किसी का मेडिकल में दाखिला नहीं हुआ तो वह मप्र समेत किसी भी राज्य आयुष में दाखिला ले सकेगा। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि पिछले साल मप्र में आयुष कॉलेजों की यूजी कोर्स की 1600 सीटें खाली रह गई थीं। अब जो काउंसलिंग तारीख तय की गई है, उसे आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। भारत सरकार ने प्रदेश के एकमात्र सरकारी होम्योपैथी कॉलेज को यूजी और पीजी कोर्स में दाखिले के लिए मान्यता दे दी है। यहां बीएचएमएस (यूजी) की 100 और पीजी की 55 सीटें हैं। इसके अलावा पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस की 60 सीटों को भी मान्यता मिल गई है। इस बारे में आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय का कहना है कि 15 फीसदी ऑल इंडिया कोटा लागू होने से प्रदेश के छात्रों को फायदा होगा। वह उन राज्यों में जाकर दाखिला ले सकेंगे जहां आयुर्वेद कॉलेज में ज्यादा संसाधन हैं। कई राज्यों में रिसर्च भी बेहतर है।