इमरान का पीएम मोदी को पत्र, बातचीत से हल हो सभी विवाद

इस्लामाबाद,भारत में दोबारा सत्ता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काबिज होने के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान की बेकरारी बढ़ गई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि इस्लामाबाद कश्मीर मुद्दे सहित सभी सुलह योग्य समस्याओं के समाधान के लिए नई दिल्ली के साथ बातचीत करना चाहता है। पाकिस्तान की तरफ से बातचीत की बात ऐसे समय में की गई है जब एक दिन पहले ही भारत ने साफ कह दिया था कि बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे कार्यकाल के लिए पीएम मोदी को बधाई देते हुए इमरान ने पत्र में कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता ही दोनों देशों के लोगों को गरीबी से उबरने में मदद करने का एकमात्र समाधान है और इसके लिए जरूरी है कि क्षेत्रीय विकास के लिए साथ मिलकर काम किया जाए। खान ने आगे कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे सहित सभी समस्याओं का समाधान चाहता है। गौरतलब है कि मोदी के सत्ता में वापस आने के बाद यह दूसरा मौका है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के लोगों की बेहतरी के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। आपको बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था और पाकिस्तान के बालाकोट में 26 फरवरी को आतंकी ठिकानों पर भारत की एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों में जंग के हालात पैदा हो गए थे।
इसके बाद लोकसभा चुनावों में मिली शानदार जीत पर 26 मई को इमरान खान ने पीएम मोदी को फोन कर बधाई दी। इस दौरान खान ने दक्षिण एशिया में शांति, विकास और खुशहाली के लिए साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की थी। वहीं, मोदी ने भरोसा पैदा करने तथा क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि के लिए हिंसा और आतंकवाद मुक्त माहौल बनाने की बात कही थी। गौरतलब है कि भारत पाकिस्तान की वार्ता की पेशकश को यह कहते हुए खारिज करता रहा है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं हो सकती। दिल्ली में विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को बताया गया कि किर्गिस्तान की राजधानी में एससीओ समिट से इतर इमरान खान के साथ पीएम मोदी की कोई द्विपक्षीय मुलाकात तय नहीं है। इससे पहले शुक्रवार को दिन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर को पत्र लिखकर कहा था कि इस्लामाबाद सभी महत्वपूर्ण मामलों पर नई दिल्ली के साथ वार्ता करना चाहता है और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है।

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