भोपाल,मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद सोमवार को पहली बार कामकाज की हलचल देखी गई। शाम को मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। कैबिनेट बैठक में डेढ़ दर्जन प्रस्तावों पर चर्चा की गई। इस दौरान कई प्रस्तावों को मंजूरी भी दी गई। मुख्यमंत्री ने जनता से जुड़े अनेक मामलों को हरी झंडी दी। बैठक में सबसे महत्वपूर्ण विषय रेत खनन नीति में बदलाव हुआ है। इसके साथ ही कैबिनेट बैठक में प्याज की खरीदी भावांतर योजना के तहत किये जाने का फैसला किया है। छिंदवाड़ा में विश्विद्यालय की स्थापना को मंजूरी दी गई है। रेत खनन के लिए पंचायत स्तर के अधिकार समाप्त होंगे। अब माइनिंग कारपोरेशन खदानों की नीलामी करेगा। 2 साल के लिए खदानों का आवंटन किया जाएगा और ई नीलामी के जरिये खदानों का आवंटन होगा। इसके अलावा नर्मदा नदी में मशीनों के जरिये खनन नहीं किया जाएगा। जिला सरकार के प्रारूप को मजबूत करने के लिए काम होगा। प्रभार वाले जिलो में मंत्री क्लास थ्री और क्लास फ़ॉर के कर्मचारियों का तबादला कर सकेंगे।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने डेढ़ साल पहले रेत खदानों के संचालन का अधिकार ग्राम पंचायतों को सौंपा था, अब कमलनाथ सरकार इस फैसले को बदलते हुए फिर से रेत खदानों को ठेके पर देने जा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा रेत खदानों से खजाना भरने की है। क्योंकि पंचायतों को रेत खदानें सौंपने के बाद से प्रदेश में रेत के दाम कम नहीं हुए, बल्कि खजाने को करोड़ों रुपए की चपत लग गई। रेत नीति के प्रस्ताव को आज कैबिनेट में मंजूर किया गया।
मशीनों पर पूरी तरह रोक
नर्मदा नदी पर स्थित खदानों में रेत खनन, संग्रहण और लोडिंग के काम में मशीनों पर पूरी तरह रोक रहेगी। अन्य नदियों में पांच हेक्टेयर तक की खदानों में स्थानीय श्रमिकों की समिति से खनन, संग्रहण और लोडिंग का काम कराया जाएगा। बड़ी खदानों में मशीन के उपयोग की इजाजत होगी। रेत खनन पर मानसून सीजन प्रारंभ होते ही 15 जून से प्रतिबंध लग जाएगा। इस दौरान रेत की कमी न हो, इसके लिए जो खदानें चल रही हैं, उन्हें 31 मार्च 2020 तक संचालन करने की अनुमति रहेगी। जो खदानें स्वीकृत हैं पर चल नहीं रही हैं, उन्हें समर्पण करने का प्रावधान भी नई रेत नीति में रहेगा।