भोपाल, करीब तीन साल से भारी मंदी से जूझ रहे रियल एस्टेट को उबारने के लिए कमलनाथ सरकार का बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत जमीनों की कलेक्टर गाइड लाइन एकमुश्त बीस फीसदी कम करने जा रही है। बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में कलेक्टर गाइड लाइन पड़ोसी राज्यों से अधिक है। आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार इस संबंध में आदेश जारी कर प्रस्ताव को कैबिनेट में भी लाया जा सकता है। सरकार का मानना है कि जमीन की कीमतें कम होने से प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त बढ़ेगी। रजिस्ट्रियों की संख्या बढऩे से सरकार की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसके लिए सरकारी रजिस्ट्री की दर बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
नोटबंदी के बाद से राजधानी समेत पूरे प्रदेश में वैसे ही रियल एस्टेट सेटर में मंदी छा गई थी, रही- सही कसर जीएसटी और रेरा ने पूरी कर दी। खरीददार नहीं मिलने के कारण सैकड़ों निर्माणाधीन हाउसिंग प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं और रियल एस्टेट के कारोबारी नए प्रोजेक्ट लाने से कतरा रहे हैं। पिछले वर्षों में जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी के असर से रजिस्ट्री की संख्या कम होती जा रही है, जिससे सरकार को उमीद के मुताबिक राजस्व नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद कलेक्टर गाइड लाइन की कीमतों में 20 प्रतिशत कमी करने पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री लेंगे फैसला
बताया जा रहा है कि आला अधिकारियों की कई दौर की बातचीत हो चुकी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और विाागीय मंत्री से चर्चा के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सरकार का मानना है कि कीमतों में कमी आने से प्रॉपर्टी लोगों के बजट में आ सकेगी और वे अपने लिए आशियाना खरीद सकेंगे। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अपनी ाराब माली हालत को देाते हुए रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है, ताकि रजिस्ट्री से मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी हो सके।
नोटबंदी के बाद आई मंदी
नोटबंदी से पहले के वर्षों में रियल एस्टेट सेटर में चल रहे बूम को देखते हुए कलेक्टर गाइडलाइन में साल दर साल जमीनों की कीमतों में खासी वृद्धि की गई। इस कारण जमीन के दाम आसमान पर पहुंच गए, लेकिन नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट सेटर में मंदी छा गई। इसकी सीधी मार बिल्डर्स पर पड़ी, योंकि डुप्लैस व फ्लैट की बिक्री में काफी कमी आ गई। जरूरतमंद ही प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, प्रॉपर्टी में लोगों ने निवेश करना लगाग बंद कर दिया है। बिल्डर्स के जिन हाउसिंग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था, वे अधूरे पड़े हैं। रियल एस्टेट कारोबारियों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से कुछ हद तक प्रॉपर्टी बाजार में उठाव आने के आसार हैं।
हर साल आते थे 3 हजार नए प्रोजेक्ट
सूत्रों का कहना है कि जब रियल एस्टेट सेटर में बूम चल रहा था, तब प्रदेश में हर साल 3 हजार नए हाउसिंग प्रोजेक्ट आते थे, लेकिन मंदी का दौर शुरू होने और प्रोजेक्ट के रेरा में अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड कराने के निर्णय के चलते नए हाउसिंग प्रोजेक्ट की संख्या में 90 प्रतिशत की कमी आई है। प्रदेश में रेरा लागू होने के बाद पहले साल में रेरा में रजिस्टर्ड 225 प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पाए थे। इनमें से 146 प्रोजेट इंदौर व भोपाल के थे।
3 लाख 10 हजार प्रॉपर्टी को नहीं मिल रहे खरीदार
प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इससे रियल एस्टेट सेटर की स्थिति की बदहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। रेरा के पास भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित प्रदेश भर में 2180 प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं। इन प्रोजेटों में 3 लाा 10 हजार प्रॉपर्टी ऐसी हैं, जो बिक नहीं रही हंै। वहीं बिल्डर प्रोजेक्टों को समय पर पूरा नहीं कर पा रहे। नए प्रोजेक्ट लांच नहीं हो रहे हैं। पुराने प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो रहे। इससे खरीदार परेशान हैं। स्थिति यह है कि सरकारी निर्माण एजेंसियां बीडीए और हाउसिंग बोर्ड भी अपने हाउसिंग प्रोजेक्टों को समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पिछले तीन साल से हाउसिंग बोर्ड और बीडीए कोई नया प्रोजेट भी लांच नहीं कर पाया है।
रियल एस्टेट सेक्टर का हाल
– राजधानी समेत प्रदेश में 4000 से ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है।
– भोपाल में रेडी टू-पजेशन वाले करीब पांच हजार फ्लैट और एक हजार मकान बिक नहीं रहे है।
– रेरा और जीएसटी आने के बाद 15 प्रतिशत बढ़ी प्रॉपर्टी की कीमत
यह होगा फायदा
– कीमत कम होने से आम आदमी को प्रॉपर्टी खरीदने में आसानी होगी।
– बाजार में पूंजी आएगी, तो निर्णाणाधीन प्रोजेक्ट पूरे होंगबे और बिल्डर नए प्रोजेक्ट लाएंगे।
– प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा तो कई लोगों को रोजगार मिलेगा।
– ईट, गिट्टी, रेत, लोहा बाजार में उठाव आएगा।
– प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री ज्यादा होने से सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा।