इंदौर, साइबर लॉ की कोर्ट ने देश में अपनी तरह का पहला फैसला दिया है। आईटी कोर्ट ने पीड़ित को 1 करोड़ 32 लाख रूपए चुकाने के आदेश दिए हैं। टेलीकॉम कंपनी और बैंक ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इस पर कोर्ट ने बैंक और टेलीकॉम कंपनी के डिजिटल सिगनेचर को निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
इंदौर के महाकाली फूड्स के मालिक पंकज शाह के एकाउंट से साइबर ठगों ने 2016 में 1 करोड़ 91 लाख ऑनलाइन ट्रांसफर कर लिए थे। ठगों ने वोडाफोन की डुप्लीकेट सिम इशू कराकर बैंक से ओटीपी हासिल किया था। बैंक ऑफ इंडिया के खातों से एक करोड़ 91 लाख रुपए की ठगी हुई थी।
साइबर पुलिस की सक्रियता से 87 लाख रुपए खाते में वापस आए। उसके बाद भी पंकज शाह को 1 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
पीड़ित व्यक्ति शाह ने साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी के माध्यम से साइबर कोर्ट में मामला दर्ज कराया था । तत्कालीन जज प्रमोद अग्रवाल ने 13 नवंबर 2018 को मोबाइल कंपनी और बैंक के शाखा प्रबंधक को हर्जाना देने के निर्देश दिए थे। 45 दिन बीत जाने के बाद भी कोर्ट के आदेश का क्रियान्वयन नहीं होने पर यह मामला पुनः साइबर लॉ कोर्ट में गया था।
वर्तमान जज मनीष रस्तोगी ने 14 मई को आईटी एक्ट के तहत जो फैसला दिया है। उसमें एक करोड़ 32 लाख रुपए रिकवरी करने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 64 के अंतर्गत नुकसानी और जुर्माना की राशि नहीं देने पर, कोर्ट को डिजिटल सिगनेचर निलंबित कर वसूली करने के प्रावधान का उल्लेख है। कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 64 के अंतर्गत वोडाफोन कंपनी और बैंक के डिजिटल सिगनेचर निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इस फैसले के बाद ऑनलाइन ठगी पर बैंक और टेलीकॉम कंपनी अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं पाएंगी। उपभोक्ताओं को भी इस फैसले से बड़ी राहत मिली है।