इंदौरी खाने ग्वालियर के संगीत और चंदेरी के टेक्सटाइल को मिल सकती है यूनेस्को की मान्यता

इंदौर, यदि आप इंदौर गए हैं तो इंदौरी पोहा, नमकीन और चाट का स्वाद तो जरूर लिया होगा। अभी तक केवल देश के लोग इस स्वाद के कायल थे। सराफा और 56 दुकान का स्वाद राहुल गांधी से लेकर अमित शाह तक ले चुके हैं। अब इस स्वाद को अतंरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने वाली है। जी हां आपने ठीक पढ़ा। इसके अलावा इंदौर की रंगपंचमी को भी इस लिस्ट में शामिल करने की कवायद चल रही है। इंदौरी खाने को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से मान्यता मिलने की कवायद शुरू हो गई है। 16 मई को देश की राजधानी दिल्ली में यूनेस्को के सामने स्टेट मिशन डायरेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त आशीष सिंह प्रस्तुतिकरण देंगे।
भोपाल की संस्कृति, ग्वालियर के संगीत भी मिलेगी जगह
इंदौर के अलावा राज्य सरकार ने भोपाल की संस्कृति, ग्वालियर के संगीत और चंदेरी की टेक्सटाइल को भी शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन को एक पत्र लिखा है। जिसके अनुसार यूनेस्को की एक कांफ्रेंस 16 मई को दिल्ली में होगी।
2004 से यूनेस्को ने शुरू की पहल
2004 से यूनेस्को साहित्य, संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए क्रिएटिव सिटी का समूह बनाकार काम कर रहा है। अभी तक इसमें दुनिया के 180 शहर शामिल हो चुके हैं। मध्यप्रदेश से चार शहरों के नाम भेजे गए हैं जिसे इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और चंदेरी के सीएमओ को भेजा जा रहा है। इंदौरी खाने का जायका ही अलग तरह का है और यह देशभर में मशहूर है। बतौर ब्रांडिग इसका फायदा मिले इसकी कवायद की जा रही है। इसी तरह भोपाल की संस्कृति, ग्वालियर के संगीत और चंदेरी की बुनकरी को प्रमोट करने की कवायद की जा रही है।
यह होगा फायदा
पर्यटन की नजर से चारों शहरों के नाम वैश्विक पटल पर आ जाएंगे। हमारी सांस्कृतिक विरासत और खानपान का विश्व में प्रचार होगा। आर्थिक और सामाजिक तौर पर शहर मजबूत होंगे। जिसका फायदा व्यवसाय और रोजगार को मिलेगा। इसके अलावा सफाई में नंबर एक आने का भी फायदा मिलेगा।

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