लखनऊ, लोकसभा चुनाव के बीच मायावती राज में बेची गई चीनी मिलों के मामले में मनी लांड्रिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा। इस मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज मिले थे। सीबीआई ने इन दस्तावेजों को ईडी को सौंप दिया है।
उत्तर प्रदेश में सन 2010-11 में 21 चीनी मिलों को गलत तरीके से बेचे जाने का आरोप है। इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। आरोप है कि सरकार ने एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी बैलेंस शीट और निवेश के फर्जी कागजातों के आधार पर नीलामी में शामिल होने के लिए योग्य मान लिया।
इस तरह ज्यादातर चीनी मिल इस कंपनी को औने-पौने दामों में बेच दी गई। इस कंपनी का नाम नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड है। दिलचस्प बात यह है कि जिस समय यह चीनी मिल नम्रता कंपनी को बेची गई थीं, उस समय यूपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार थी और मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। साल 2017 में यूपी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2018 में चीनी मिल बेचे जाने के केस की सीबीआई जांच करने की सिफारिश की थी। योगी सरकार की सिफारिश के बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआती जांच में ही इस मामले में गड़बड़ी की बात सामने आई थी।
आरोप है कि चीनी मिलों की गलत बिक्री से करीब 1179 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। सीबीआई जांच में ये बात सामने आई है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का भी है। जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है। चुनावी सरगर्मियों के बीच चीनी मिल केस में प्रवर्तन निदेशालय इस प्रकरण से जुड़े आरोपियों से एक बार फिर पूछताछ करेगी। इस जांच की आंच बसपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती तक भी पहुंच सकती है।