सूरत, बलात्कारी आसाराम के दुष्कर्मी बेटे को सूरत की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही एक लाख रुपए का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है. इस मामले के अन्य दोषियों में तीन को 10-10 साल और एक को छह महीने की सजा और 500 रुपए जुर्माना लगाया गया है.
सूरत सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायधीश पीएस गढ़वी ने नारायण सांई को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक यौन शोषण), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-ख (षडयंत्र) के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और एक लाख रुपए का जुर्माना किया है. उम्रकैद की सजा होते ही नारायण भरी कोर्ट में रुआंसा हो गया. अन्य आरोपी धर्मिष्ठा उर्फ गंगा और भावना उर्फ जमना को 10 साल की सजा के साथ ही पांच हजार रुपए जुर्माना किया गया है| जबकि साधक पवन उर्फ हनुमान को भी 10 वर्ष की सजा सुनाई गी है. चौथे दोषी राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा को 6 महीने की सजा और 500 रुपए का जुर्माना किया गया है. मंगलवार को कोर्ट में सरकारी वकील और नारायण सांई के वकील के बीच दलील पूरी होते ही न्यायधीश ने फैसला लिखना शुरू कर दिया| उस दौरान नारायण सांई खड़ा हो गया. न्यायधीश ने जब उससे पूछा कि कुछ कहना है? तब नारायण ने कहा, हां उसे कुछ कहना है| इसके बाद वह अपने वकील गुप्ता के पास चला गया| लेकिन वकील ने उसे बैठने का इशारा कर दिया. न्यायधीश ने नारायण से कहा कि उसे जो भी कहना अभी कह दे, वर्ना फैसले के बाद कुछ नहीं हो पाएगा. नारायण सांई लगातार कोर्ट में दलील और अपील की मांग करता रहा, लेकिन उसके वकील ने उसे चुप करा दिया. फैसले के बाद नारायण सांई समेत पांचों दोषियों को पुलिस ने कस्टडी में ले लिया. सूरत की लाजपोर जेल में नारायण सांई का मामला विचाराधीन था, इसलिए उसका नंबर सी-6 था. अब नारायण सांई के सजायाफ्ता होने से जेल में उसका नंबर भी बदल जाएगा.
नारायण साईं की सजा के ऐलान को लेकर सूरत पुलिस ने कोर्ट के आस-पास सुरक्षा के मद्देनजर किलेबंदी की थी. यहां नारायन साईं के समर्थकों के पहुंचने कि आशंका के चलते यह कदम उठाया गया था. कोर्ट की कार्रवाई के दौरान परिसर में खासी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था. कड़ी सुरक्षा के साथ नारायण समेत अन्य दोषियों को न्यायालय लाया गया. जिसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच दलीलें शुरू हुईं| बचाव पक्ष के वकील ने नारायण को कम से कम सजा देने की अपील करते हुए कहा कि उनके मुवक्कील जेल में पांच साल गुजार चुका है, इसलिए उसे कम सजा होनी चाहिए| इस दौरान नारायण सांई को लिखने को लिए कलम और पेपर दिया गया. नारायण सांई ने वकील के जरिए न्यायधीश को पत्र लिखा. जिसमें उसने कहा कि उसे दोषी करार दिए जाने पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. उचित जांच और हमें सुनने के बाद ही न्याय किया जाए.
सरकारी वकील ने कोर्ट से कहा कि नारायण सांई धर्मगुरु है और गुरु का स्थान पिता और भगवान से बड़ा है. नारायण के लाखों अनुयायी होने के बावजूद यदि वह ऐसे दुष्कृत्य को अंजाम देता है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए. सरकारी वकील ने नारायण सांई को उम्रकैद के साथ ही पीड़िता को रु. 25 लाख का मुआवजा देने की कोर्ट से मांग की. उन्होंने कहा कि नारायण सांई 30 साल की आयु से प्रवचन देता रहा है और उसके पक्ष की ओर से कहा जाता है कि वह नासमझ है. समाज में उच्च पद पर बैठे लोगों के खिलाफ धारा 307(2) लगाई जाती है.
गौरतलब है सूरत की दो सगी बहनों ने आसाराम और उसके बेटे नारायण सांई के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवा थी. एक बहन का आरोप था कि 2002 से 2005 के दौरान सूरत के आश्रम में रहती थी, तब नारायण सांई ने उसके साथ दुष्कर्म किया था. दूसरी बहन ने वर्ष 1997 से 2006 के दौरान अहमदाबाद के आश्रम में दुष्कर्म करने का आसाराम पर आरोप लगाया था. आसाराम दुष्कर्म मामला गांधीनगर की कोर्ट में विचाराधीन है. मध्य प्रदेश की छिंदवाडा कोर्ट नाबालिग से यौन शोषण के मामले में पिछले साल 25 मार्च को आसाराम को उम्रकैद की सजा सुना चुकी है. आसाराम की सहयोगी शिल्पी और शरद को भी 20 साल की सजा सुनाई है और वह जेल में सजा काट रहा है.