श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बेतुका और विवादित बयान दिया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासिन मलिक की रिहाई की मांग की। यासीन मलिक को आतंकवादियों और अलगाववादियों को धन मुहैया करवाए जाने के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। महबूबा ने भाजपा की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा से यासीन की तुलना करते हुए रिहाई की मांग की है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट किया दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक का परिवार उनकी गिरती हुई सेहत को लेकर बेहद चिंतित है। अफसोस की बात है कि भारत सरकार उनकी गिरती सेहत के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाए हुए है। लेकिन उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को जमानत की सुविधा दी हुई है जो कि सांप्रदायिक भावनाओं को भडक़ाकर अपना राजनीतिक एजेंडा पेश कर रही हैं। मालूम हो कि साध्वी प्रज्ञा 2008 मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। भाजपा ने उन्हें कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है।
इधर,जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेताओं और उनके संगठनों पर केंद्र सरकार ने बीते दिनो ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी। इसी कड़ी में सरकार ने जेकेएलएफ को बैन कर दिया था। यूएपीए की धारा 3 के तहत ये बड़ी कार्रवाई की गई थी। यह कार्रवाई आतंकी संगठनों के साथ संबंधों के आरोप के बाद की गई। ऐसा पहली बार नहीं है कि महबूबा यासीन के समर्थन में नजर आईं हों। मुफ्ती ने इस बैन पर केंद्र को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने कहा था कि यासीन मलिक ने लंबे समय से राज्य के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। उन्हें प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी बातचीत में शामिल किया था। अब उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा इससे सिर्फ कश्मीर की फिजाओं में तनाव बढ़ेगा।