न्यूयॉर्क, पुरुष गर्भ निरोधक गोली का विकास करने में वैज्ञानिक एक कदम और आगे बढ़ रहे हैं। दरअसल वैज्ञानिकों ने ऐसे कैप्सूल का परीक्षण किया है, जो स्पर्म की एक्टिविटी को कम करता है और इसके साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। इस सिलसिले में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉशिंगटन ने 1 महीने तक 40 पुरुषों पर स्टडी की। शोधकर्ताओं ने इन पुरुषों को एक कैप्सूल दिया और देखना चाहती थी कि जो हारमोंस टेस्टोस्टेरोन और स्पर्म के प्रोडक्शन में मदद करते हैं, उनके स्तर को कम करने में यह कैप्सूल किस हद तक मदद करता है। डॉक्टरों ने पाया कि जो पुरुष रोजाना एक कैप्सूल खा रहे थे, उनके हारमोंस का स्तर गिर गया। जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि स्पर्म काउंट का स्तर भी काफी गिर गया है। इस स्टडी का मुख्य मकसद सुरक्षा का आंकलन करना है, इसलिए शोधकर्ताओं के अनुसार अगला ट्रायल थोड़ा लंबा होगा, जिससे पता चल सके कि स्पर्म काउंट में कितनी गिरावट आई है और क्या यह गिरावट पर्याप्त है। शोधकर्ताओं की टीम ने यह भी बताया कि इस स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करने वाली इस दवाई को कम से कम 60 से 90 दिन लगेंगे।
ट्रायल के सीनियर जांचकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में मेडिसिन के प्रोफेसर स्टैफनी पेज ने कहा कि हमारा मकसद है कि जिस तरह महिलाओं के लिए सारे गर्भनिरोधक विकल्प है, उस तरह पुरुषों के लिए भी विकल्प मौजूद है। अध्ययन में शामिल हुए 40 वर्षों में से 10 को प्लेसबो कैप्सूल दिया गया, जिसमें एक्टिव ड्रग नहीं होता। जबकि 30 पुरुषों को 200एमजी का डोज दिया गया, वहीं बाकी 16 पुरुषों को 400 एमजी का डोज दिया है। सभी पार्टिसिपेंट्स ने प्रतिदिन 28 दिनों के डोज लिया। दवाई के काफी कम साइड इफैक्टृस् सामने आए जैसे की थकान, मुंहासे और सिर दर्द।
स्टडी के एक और सीनियर जांचकर्ता एवं एले बायोमेड क्रिस्टीना विंग ने कहा कि स्टडी काफी छोटी है और स्पर्म प्रोडक्शन को रोकने के लिए हमें अभी तीन और महीने का वक्त चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक हमने यह दिखाया कि दवाइयां उन हारमोंस को बंद कर देती है, जो वीर्य कोष के फंक्शन को कंट्रोल करते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि मार्केट में अभी पुरुष गर्भ निरोधक गोली को आने में एक दशक लग सकता है।