कांग्रेस ने यूपी की 7 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, सपा-बसपा खेमा स्तब्ध

लखनऊ, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भले ही अपने गठबंधन से कांग्रेस को अलग कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस के एक दांव ने सपा-बसपा खेमे में हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने यूपी में कम से कम 7 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जहां कोर मुस्लिम वोट बसपा-रालोद और सपा को नुकसान पहुंचा सकता है।
ऐसे में गठबंधन के दल यह आरोप लगा रहे हैं कि भले ही कांग्रेस भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का दावा करे, लेकिन यह सिर्फ गठबंधन को बेपटरी करने की ही एक योजना लग रही है। इन 7 सीटों में कांग्रेस को दो सीटों सहारनपुर और खीरी पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। हालांकि जिन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से विवाद हो रहा है, उनमें बदायूं भी शामिल है। यहां कांग्रेस ने सलीम शेरवानी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। बदायूं में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 15 फीसदी मुस्लिम और 30 फीसदी यादव हैं। सूत्रों के अनुसार अगर दो मजबूत उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की तरफ ही आकर्षित होंगे। वहीं मायावती के करीबी रहे पूर्व बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को भी गठबंधन बड़े नुकसान के रूप में देख रहा है।
वह 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गए और इस बार बिजनौर से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बसपा ने गुर्जर नेता मलूक नागर को टिकट दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस निर्वाचन क्षेत्र में 30 फीसदी मुस्लिम हैं और वोटों का बंटवारा होने की प्रबल संभावनाएं हैं।
सीतापुर में भी कांग्रेस ने पूर्व बसपा नेता कैसर जहां को टिकट दिया है। इस सीट पर फिलहाल बसपा ने अभी कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन पार्टी यहां से कांग्रेस को टक्कर देने के लिए मजबूत दावेदार की तलाश कर रही है। सपा सूत्रों का कहना है कि कुछ कांग्रेस नेताओं को छोड़कर, जो इन सीटों पर अपना असर रखते हैं, कांग्रेस का यहां कोई आधार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने गठबंधन के लिए 7 सीटें छोड़ने की सूचना फैलाई थी लेकिन इन महत्वपूर्ण सीटों को उसमें शामिल नहीं किया और फिर यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए, जिससे लगता है कि यह गठबंधन को नुकसान पहुंचाने का प्रयास है। सपा के सूत्रों ने कहा अगर कांग्रेस वाकई गंभीर थी तो उसने बदायूं सीट क्यों नहीं छोड़ी? निश्चित रूप से इससे गठबंधन को तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन बिना वजह मनमुटाव पैदा होगा।

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