‘मिशन शक्ति’ ने दो साल में हासिल की क्षमता, डीआरडीओ प्रमुख ने बताया ऐसे कामयाब हुआ मिशन

नई दिल्ली,भारत का उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण के बाद डीआरडीओ प्रमुख जी.सतीश रेड्डी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विकसित करने में देश की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है। इससे देश अंतरिक्ष शक्तियों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। रेड्डी ने कहा कि इस परियोजना के लिए मंजूरी करीब दो वर्ष पहले दी गई थी। हम सामरिक मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को रिपोर्ट करते हैं। उन्होंने हमें इस मिशन को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी थी। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति ली थी। उन्होंने कहा कि यह मिशन दो साल पहले शुरू हुआ था और पिछले छह महीनों से हम इसे समय से पूरा करने के लिए ‘मिशन मोड’ में जुटे थे। इस दौरान 100 वैज्ञानिकों की टीम दिन-रात काम कर रही थी।
ए-सैट मिसाइल ओडिसा के बालासोर (डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम द्वीप) से सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर छोड़ा गया जिसने तीन मिनट बाद ही धरती की निचली कक्षा में स्थित अपने निर्धारित लक्ष्य को नष्ट कर दिया। यह दूरी धरती से लगभग 300किलोमीटर होती है। रेड्डी ने कहा कि परीक्षण के लिए उपयोग की गई प्रौद्योगिकी पूरी तरह स्वदेश में विकसित है। उपग्रह को मिसाइल से मार गिराया जाना दर्शाता है कि ‘‘हम ऐसी तकनीक विकसित करने में सक्षम हैं जो सटीक दक्षता हासिल कर सकता है। उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण से हमारी क्षमता का पता चलता है और यह कवच के तौर पर काम करेगा।
डीआरडीओ ने कहा कि एक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर मिसाइल ने सफलतापूर्वक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में भारतीय उपग्रह को ‘हिट टू किल’ मोड में निशाना बना लिया। इंटरसेप्टर मिसाइल 3 चरणों का मिसाइल था जिसमें दो ठोस रॉकेट बूस्टर थे। रेंज सेंसर से निगरानी में पुष्टि हुई कि मिशन ने अपना उद्देश्य पूरा किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण किसी देश के खिलाफ नहीं था और बाहरी अंतरिक्ष में भारत किसी हथियार दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता है।

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